इसे कहते हैं -
रश्मि प्रभा
चटक घिउ खिचड़ी ....
रश्मि प्रभा
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समस्या का समाधान
एक दिन,
एक अदद बच्चों के ,
एक मात्र एकलौते पिता ने
एक गंभीर मसले की
गुत्थी सुलझाने के लिए
मुझे घर पर बुलाया
घर पहुँचते ही
नमस्ते के स्वरों से मेरा अभिबादन जताया
सोफा मेरी तरफ खिसकाया
और फरमाया
मिश्र जी बैठ जाइए
हमारी समस्या का समाधान बताईये
भविष्य अंधकारमय होता जा रlहा है
चिंता का तूफ़ान खा रहा है
सभी लाडले फेल पर फेल हो रहे हैं
अंग्रेगी, बिज्ञान, भूगोल में रो रहे हैं
इनके लिए
इनके भविष्य के लिए
कोई रास्ता सुझाईये
नाम शोहरत , दौलत से भरपूर हो
कोई तरकीब लगाईये
मैंने गंभीर होकर पूंछा
क्या आपके बच्चे
कम समय में ही
सब कुछ पाना चाहते हैं
नाम बनाना चाहते हैं?
जबाब में सुनकर हां
मैं बोला
आप कल ही बाज़ार जाईये
कपड़ों का थान ले आईये
झंडे बनबायिये
हर गली हर नुक्कड़ पर
अपने लाल दुलारों से फहरबायिये
अंग्रेजी, हिंदी की मिली जुली
संकर नस्ल का मोडर्न भाषण दिलवाईये
आप सुखद परिणाम पाएंगे
चाँद बरसों में ही
पूरी की पूरी संसद में
आपके लाडले नजर आयेंगे
जय हो ! तभी तो है मेरा देश महान ……करारा व्यंग्य
ReplyDeleteएक सार्थक व्यग्य जो गहराई तक वार करता है. लेकिन क्या उनपर कुछ प्रभाव पड़ेगा जिनके लिए लिखा गया है?
ReplyDeleteTHEEK KAHA.SAMAY KE ANURUP ACHHA SUJHAV,EK SARTHAK KATAKSH
ReplyDeleteवाह सटीक रोजगार!!
ReplyDeleteनेतागिरी की शिक्षा की सलाह बच्चों के लिए!...बढ़िया व्यंग्य!...सुन्दर प्रस्तुति!....आभार!
ReplyDeletesateek samyik vyang prastuti..
ReplyDeleteprastuti hetu aabhar!
khoobasoorat,karara vyang.
ReplyDeletemaza deti hui......
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.......................
करारा व्यंग.............
अनु
नेतागिरी की आसन राह...
ReplyDeleteअच्छी रचना
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