आधा सेर चाउर पका
बुढ़वा ने खाया -- बुढ़िया ने खाया
लेंगरा ने खाया -- बौकी ने खाया
कुतवा ने खाया चवर-चवर
आध सेर चाउर नहीं पका
बुढ़वा ने नहीं खाया, बुढ़िया ने नहीं खाया
रह गया लेंगरा भूखा, बौकी भूखी
कुतवा भूखा, बकरिया भूखी
जो गया था चाउर लाने
लौट कर नहीं आया आजतक !
अरविन्द श्रीवास्तव
http://janshabd.blogspot.in/
gareebi ka sachcha chitra ek laghu katha ke jaise aankhon ke saamne aa gaya.bahut marmik abhivyakti.
ReplyDeleteमार्मिक!
ReplyDeleteआध सेर चाउर नहीं पका
ReplyDeleteबुढ़वा ने नहीं खाया, बुढ़िया ने नहीं खाया
रह गया लेंगरा भूखा, बौकी भूखी
कुतवा भूखा, बकरिया भूखी
जो गया था चाउर लाने
लौट कर नहीं आया आजतक !
bahut sundar prstiti,shubhakaananaayen.
बढ़िया प्रस्तुति ।
ReplyDeleteखबर आजतक पर चली, गली गली सी लाश ।
नक्सल-गढ़ थाने पड़ी, जिसकी रही तलाश ।।
आध सेर चाउर नहीं पका
ReplyDeleteबुढ़वा ने नहीं खाया, बुढ़िया ने नहीं खाया
रह गया लेंगरा भूखा, बौकी भूखी
कुतवा भूखा, बकरिया भूखी
जो गया था चाउर लाने
लौट कर नहीं आया आजतक !
bahut hi maarmik varnan ! aabhar
आधा सेर चाउर नही पका...................
ReplyDeleteजो गया था चाउर लाने
लौट कर नहीं आया आजतक !
आह !
उत्कृष्ट कृति |
ReplyDeleteachchhi kavitaa, badhayiyan !
ReplyDeleteमार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeleteयही है तस्वीरे हिन्दोस्तान !
ReplyDeleteसुन्दर चित्रण...
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