पर .... अस्तित्व यूँ मिटता नहीं
किसी में इतनी ताकत नहीं जो मिटा दे अस्तित्व को
क्षणांश को सब डगमगाते हैं
फिर अपने अस्तित्व को त्रिनेत्र बना
दुनिया को देखते हैं ...
रश्मि प्रभा
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वो निरीह ..
कल देखा था मैंने उसे
वहीँ उस कोने में
बैठा था चुपचाप
मुस्काया मुझे देख
सोचा होगा उसने
कुछ तो करुँगी
बहलाऊँगी ,मनाऊंगी
फिर उठा लुंगी अहिस्ता से
हमेशा ही होता है ऐसे.
वो जब तब रूठ कर बैठ जाता है
थोडा ठुनकता है,
यहाँ वहां दुबकता है
फिर मान जाता है.
पर इस बार जैसे
कुछ अलग है
नहीं है हिम्मत मनाने की
जज्बा बहलाने का
स्नेह उसे उठाने का
इसलिए अभी तक वहीँ पड़ा है वो
कुम्हलाया,सकुचाया, हताश सा
मेरा अस्तित्व .
इसलिए अभी तक वहीँ पड़ा है वो
ReplyDeleteकुम्हलाया,सकुचाया, हताश सा
मेरा अस्तित्व .
मनाना तो होगा ही ..
बहुत सुन्दर
अस्तित्व को बचाए रखना भी अब शगल बन गया जिंदगी में..
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.
"किसी में इतनी ताकत नहीं जो मिटा दे अस्तित्व को"
ReplyDeleteलेकिन .... अपनी सारी ताकत लगानी होगी अपने अस्तित्व को "निरीह" नहीं बनने देने में ...
नहीं है हिम्मत मनाने की
ReplyDeleteजज्बा बहलाने का
स्नेह उसे उठाने का
इसलिए अभी तक वहीँ पड़ा है वो
कुम्हलाया,सकुचाया, हताश सा
मेरा अस्तित्व .
अस्तित्व पर एक नई कलात्मक दृष्टि।
हताश होते हुए भी अस्तित्व बचाना तो होगा...
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
कुम्हलाया,सकुचाया, हताश सा
ReplyDeleteमेरा अस्तित्व
sundar bhavyavyakti...
Bahut Sundar!!
ReplyDeletebehad jaruri hai aisa karna bhi kabhi kabhi .....
ReplyDeleteअद्भुत....
ReplyDeleteसादर आभार.
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ओह, क्या आवाज दी है आपने, अंदर तक शोर पहूंच गया.. बघाई।
ReplyDeleteआप सभी का तहे दिल से आभार.
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteReal humble 'Self Portrayal'but my take on the same is:
"मेरे चेहरे पे पडी धूल से मायूस न हो,
मैं हसीं रुह हूँ, ये धूल हटा कर देखो।"
मेरा अस्तित्व .
ReplyDeleteमनाना तो होगा ही ..
बहुत सुन्दर
अपने अस्तित्व को चैलेन्ज करते रहना चाहिए...अगर उसे जीवित रखना है...
ReplyDeleteअति सुन्दर , कृपया इसका अवलोकन करें vijay9: आधे अधूरे सच के साथ .....
ReplyDeleteओह !
ReplyDeleteआहा क्या बात है!
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