मैं तख्तो ताज को ठुकरा के तुझको ले लूँगा
दावे से कहा था सलीम ने ....... ले न सका
इंग्लैण्ड के भावी राजा ने ठुकरा दिया इंग्लैण्ड का राज्य
बिना कुछ कहे ......
प्यार आँखों की ज़ुबान है ....................
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प्यार इसे ही कहते हैं...
बड़ी हसरत से देखा था उसने सुनहरी चूड़ियों को
कुछ कहने सुनने के क्रम में
अचानक ही बोल पड़ा
'जरा कानों में बजाना तो '
......... खनक उस पल की
प्रतिध्वनि बन
आज भी सुनाई देती है
और शाम की लाली शरमाकर
रात के आँचल में मुंह छुपा लेती है !
फिर जब खोलती है उन्नीदी पलकें
लहराता है एक साया दरवाज़े से टिका
पूछता है धीरे से - 'सो रही हो अब तक ,
चलो एक कप चाय हो जाए ...
कहो कितनी शक्कर ?'
..... चाय वह बनाता है
शब्द मुस्कुराती आँखों से छलकते हैं
प्यार इसे ही कहते हैं !!!
रश्मि प्रभा
--- सुना है ,
ReplyDeleteप्यार इसे ही कहते हैं !!!
बिल्क्ुल सच ... ।
जीवन के साथ ...कैसे जोड़ा है आपने प्यार को ...!!और फिर ...
ReplyDeleteसुना है ,
प्यार इसे ही कहते हैं !!!
गहन अनुभूति और अभिव्यक्ति ...
अत्यंत प्रभावशाली रचना ...!!
. चाय वह बनाता है
ReplyDeleteशब्द मुस्कुराती आँखों से छलकते हैं
कोमल से भाव और प्यारी सी रचना .. शायद प्यार इसी को कहते हैं ...
प्यार आँखों की ज़ुबान है .......haan yahi sach hai.bahut hi komalta ke saath likhi hai aapne.
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत !!!!!!!
ReplyDeleteएक छोटी सी बात को ले कर इतनी ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति
"प्यार जीवन का सुखद एह्सास है ”
गहन अनुभूति और अभिव्यक्ति|
ReplyDeleteहाँ यही तो प्यार है…………कोमल अहसासो से लबरेज़्।
ReplyDeleteहाँ ,यही प्यार है..................!एक दूसरे को समझने का नाम .........
ReplyDeleteनाजुक अहसासों के साथ प्यार ...
ReplyDeleteबेहतरीन शब्द और भाव ।
bhtrin pyari pyaari si rachnaa ke liyen bdhai .akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteकोमल अहसासों से ओतप्रोत बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
ReplyDeletepyar kab kis roop mei ujaagar ho jaye koi nahi janta...
ReplyDeleteaapka likha ek ek shabd dil ko chu gaya
baut hi sundar!..... pyaar ise hi kehte hai...........
ReplyDeleteचलो एक कप चाय हो जाए ...
ReplyDeleteकहो कितनी शक्कर ?'
..... चाय वह बनाता है
शब्द मुस्कुराती आँखों से छलकते हैं
--- सुना है ,
प्यार इसे ही कहते हैं !!!
...sundar komal pyarbhare ahsas..
sach mausi...pyar ise hi kahte hain...:)
ReplyDeleteअरे वाह रश्मि जी,
ReplyDeleteएक चाय के प्याले में उष्मा भरा अहसास!!
प्यार आँखों की ज़ुबान है
ReplyDelete-उम्दा रचना!!!
'chalo ek cup chai ho jaye..'
ReplyDeletethat's so lovely and beautiful ma'am... :)
......... खनक उस पल की
ReplyDeleteप्रतिध्वनि बन
आज भी सुनाई देती है
बेहद रूमानी ... यकीनन प्यार इसी को कहते हैं
सुन्दर भाव और कोमल एहसासों के साथ लिखी हुई शानदार रचना के लिए बधाई!
ReplyDeletemadam ji... bhut hi gahre bhaavo se apne pyar ko vaykt kiya hai... sayad pyar ishe hi kahte hai....
ReplyDeleteसुना है ,
ReplyDeleteप्यार इसे ही कहते हैं !!!हा यही सच्चे प्यार का अह्सास है....
प्रेमी ह्रदय को सर्वत्र प्यार ही प्यार दिखता है।
ReplyDeleteछोटी-छोटी खुशियों में ही जीवन की सार्थकता है...
ReplyDeleteशायद प्यार इसी को कहते हैं,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सही सुना है ...
ReplyDeleteखूबसूरत मीठी रचना ...
प्यार विषय पर सचमुच बहुत ही प्यारी सी कविता| बधाई दीदी|
ReplyDeleteप्यार खोज ही लेता नए आयाम बेहद कोमलता से , प्यार हो तो मुड़कर चले जाना भी प्यार दर्शाता है . कोमल भावभीने शब्द
ReplyDeleteकहो कितनी शक्कर ?'
ReplyDelete..... चाय वह बनाता है
शब्द मुस्कुराती आँखों से छलकते हैं
behad khoobsoorat rachnaa...
bahut suhaani si lagi....jaise hawa ka jhonka chehre ko aahista se chhoke nikal gaya ho....
दीदी...
ReplyDeleteआँखें नम हो गयीं ... शायद प्यार की खुशी से
सादर
भरत
vaah!
ReplyDeleteप्यार को परिभाषित करना मुश्किल है
ReplyDeleteइस शब्द को अर्थ न ही दिया जाये तो अच्छा
haan pyar isi ko kehte hain
ReplyDelete:)
bahut pyari si rachna
abhaar
Naaz
नही जानती किसे कहते हैं -प्यार-
ReplyDeleteनन्नू लिखते समय एक एक अक्षर उकेरते हुए आंसू नही रोक पाती.यह प्यार है? सुविधि गरिमा,एन्जिलजी,अपूर्वा को अगले जन्म में अपने गर्भ से जन्म देना चाहती हूँ.ये प्यार है? 'उसकी; प्रतिमा के सामने खड़ी होती हूँ.पलक नही झपकाती फिर.....आंसू बह बह कर वक्ष से घुटनों के पास साडी से टकराते हुए जमीन पर गिरते जाते हैं.उसमे विलीन हो जाना चाहती हूँ. ये प्यार है? एक बेचैनी सी होती है,फोन उठाती हूँ मालूम पड़ता है वो बीमार है.....या दुखी निराश है.'वो' तुम भी हो सकती हूँ मिनी और.........तितु,ऋतू,अप्पू,पद्मसिंह या पाबला जी भी.......ये प्यार है? कभी कभी बस जाना चाहती हूँ....गोस्वामीजी कहते हैं -'मेरी तरफ देखो'और......सोचने लगती हूँ कैसे मर सकूंगी.? ये प्यार है?नही जानती पर मेरे रग रग में 'कुछ' है जो तुम सबको अपने में समेट कर दूर कहीं जाना चाहता है.क्या 'ये' प्यार है??? तुम्हारी कविताएँ मुझे विचलित कर देती है मिनि !
ha sayad.... pyar ishe hi kahte hai....
ReplyDeleteचलो एक कप चाय हो जाए ...
ReplyDeleteकहो कितनी शक्कर ?'
..... चाय वह बनाता है
शब्द मुस्कुराती आँखों से छलकते हैं
--- सुना है ,
प्यार इसे ही कहते हैं !!!
haan haan yahi pyar hai...kitni komalta se kaha...सुना है ,
प्यार इसे ही कहते हैं !!!
.... bahut sunder rachna...
रश्मि जी बहुत सटीक भावाभिव्यक्ति प्यार होता ही ऐसा है ..जर्रे जर्रे में वो ...
ReplyDeleteभ्रमर ५
फिर जब खोलती है उन्नीदी पलकें
लहराता है एक साया दरवाज़े से टिका
पूछता है धीरे से - 'सो रही हो अब तक ,
priya rashmi jee aapki is rachna ne to man ko gehre chhoo liya hai, itni sundar bhavbhivyakti pyar ke sandharbh ke liye badhai.
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