भागो भागो रे भेड़िया आया ...
इतनी शिद्दत से कहा हमने कि
भेड़ियों की भरमार हो गई
अब कौन किससे डरे
सब नाख़ून बढा रहे
.....
बच्चा भी शान से कहता है
'बड़ा होकर मैं भी भेड़िया बनूँगा '
 





 
रश्मि प्रभा
 
 
 
 
 
 
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भेड़िया


भेड़िया आया, भेड़िया आया
शोर सुनाई नहीं देता
क्योंकि
भेड़िया खास नहीं रहा
आम हो गया है
पहले आता था
कभी-कभी
जंगलों से
रिहायशी इलाके में
लेकिन
बना लिया आशियाना
कंक्रीट के जंगलों में
बदल गया है
चेहरा भेड़िए का
लेकिन
नहीं बदला है
तरीका शिकार का
जांघ पर हमला
घायल को थकाना
फिर भूख मिटाना
एक नहीं
दो नहीं
तीन नहीं
सैकड़ों भेड़िए
मौजूद हैं
इस बस्ती में
इसीलिए तो
भेड़िया आया, भेड़िया आया
शोर सुनाई नहीं देता
क्योंकि
भेड़िया खास से
आम हो गया है
[sha-vis.JPG]




शरदिंदु शेखर

19 comments:

  1. bahut badhiya !!!!
    samaaj men chhipe anginat bhediye aaj khule aam ghoom rahe hain aur apne khoonee panjon se logon ka shikar kar rahe hain .
    saty ko ujagar karti rachna

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  2. वाकई अब……
    भेड़िया खास से
    आम हो गया है।

    बेहद गम्भीर प्रस्तुति!!

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  3. उफ़ सच को बयां करती मार्मिक अभिव्यक्ति।

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  4. wakai insaan kab bhediyaa hi jyadaa ho gaye hai.bahut saarthak ,gaharai liye hue saarthak rachanaa.badhaai.





    please visit my blog.thanks.

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  5. आप भी पढ़ें बौराया मीडिया, बेईमान कांग्रेस, बेख़ौफ़ बाबा , बाबा जी का साथ दें http://www.bharatyogi.net/2011/06/blog-post_09.html

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  6. bhediye bhi aam ho gaye aur aam bhi aam....

    bhediye ko pahachaanna itna aasan nahi....fir bhi apne chal chalan se uski pahachaan ho hi jaati hai...

    achha vyangya!!!

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  7. waha bahut badiya .........kam shabdo mei sab kuch likh diya ...bahut khub

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  8. बेहद चिंताजनक विषय है...भेडिये का आम हो जाना...फर्क बस इतना है की अब भेडियों को भेडियों का ही डर सताता है...कि कहीं अगला मुझसे ज्यादा ताकतवर ना निकल जाए...सब गुर्राते नज़र आते हैं...

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  9. bahut khubsurati se insan ko bhediya btane me safal ek khubsurat rachna :)
    sundar rachna

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  10. बहुत सुन्दर ..

    यथार्थ के बहुत करीब रचना

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  11. भेड़ियों ने जंगल छोड़ कर शहर में बसेरा कर लिया है और इतने आम हो गए हैं की अब दर नहीं लगता , नियति के रूप में स्वीकारे जाने लगे हैं ..
    मार्मिक सत्य !

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  12. सच है भेड़िया खास नहीं आम हो गया है...
    बहुत बढ़िया...

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  13. इसीलिए तो
    भेड़िया आया, भेड़िया आया
    शोर सुनाई नहीं देता
    क्योंकि
    भेड़िया खास से
    आम हो गया है

    आज के सच को बयान करती कविता !

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  14. सटीक प्रहार अभी के माहौल पर! बहुत खूब..

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  15. अब तो शिकार कम और शिकारी ज्यादा हो गए हैं ... सुन्दर रचना !

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  16. बहुत सुन्दर ..

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  17. हर गली चौराहे पर भेडिये ही भेडिये हैं शिकार की तलाश मे। सुन्दर रचना। बधाई।

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