भागो भागो रे भेड़िया आया ...
इतनी शिद्दत से कहा हमने कि
भेड़ियों की भरमार हो गई
अब कौन किससे डरे
सब नाख़ून बढा रहे
.....
बच्चा भी शान से कहता है
'बड़ा होकर मैं भी भेड़िया बनूँगा '
रश्मि प्रभा
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भेड़िया
भेड़िया आया, भेड़िया आया
शोर सुनाई नहीं देता
क्योंकि
भेड़िया खास नहीं रहा
आम हो गया है
पहले आता था
कभी-कभी
जंगलों से
रिहायशी इलाके में
लेकिन
बना लिया आशियाना
कंक्रीट के जंगलों में
बदल गया है
चेहरा भेड़िए का
लेकिन
नहीं बदला है
तरीका शिकार का
जांघ पर हमला
घायल को थकाना
फिर भूख मिटाना
एक नहीं
दो नहीं
तीन नहीं
सैकड़ों भेड़िए
मौजूद हैं
इस बस्ती में
इसीलिए तो
भेड़िया आया, भेड़िया आया
शोर सुनाई नहीं देता
क्योंकि
भेड़िया खास से
आम हो गया है
शरदिंदु शेखर
bahut badhiya !!!!
ReplyDeletesamaaj men chhipe anginat bhediye aaj khule aam ghoom rahe hain aur apne khoonee panjon se logon ka shikar kar rahe hain .
saty ko ujagar karti rachna
bahut badhiya !!!!
ReplyDeleteवाकई अब……
ReplyDeleteभेड़िया खास से
आम हो गया है।
बेहद गम्भीर प्रस्तुति!!
उफ़ सच को बयां करती मार्मिक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteWah!! lajabab!!
ReplyDeletewakai insaan kab bhediyaa hi jyadaa ho gaye hai.bahut saarthak ,gaharai liye hue saarthak rachanaa.badhaai.
ReplyDeleteplease visit my blog.thanks.
आप भी पढ़ें बौराया मीडिया, बेईमान कांग्रेस, बेख़ौफ़ बाबा , बाबा जी का साथ दें http://www.bharatyogi.net/2011/06/blog-post_09.html
ReplyDeletebhediye bhi aam ho gaye aur aam bhi aam....
ReplyDeletebhediye ko pahachaanna itna aasan nahi....fir bhi apne chal chalan se uski pahachaan ho hi jaati hai...
achha vyangya!!!
waha bahut badiya .........kam shabdo mei sab kuch likh diya ...bahut khub
ReplyDeleteबेहद चिंताजनक विषय है...भेडिये का आम हो जाना...फर्क बस इतना है की अब भेडियों को भेडियों का ही डर सताता है...कि कहीं अगला मुझसे ज्यादा ताकतवर ना निकल जाए...सब गुर्राते नज़र आते हैं...
ReplyDeletebahut khubsurati se insan ko bhediya btane me safal ek khubsurat rachna :)
ReplyDeletesundar rachna
बहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteयथार्थ के बहुत करीब रचना
भेड़ियों ने जंगल छोड़ कर शहर में बसेरा कर लिया है और इतने आम हो गए हैं की अब दर नहीं लगता , नियति के रूप में स्वीकारे जाने लगे हैं ..
ReplyDeleteमार्मिक सत्य !
सच है भेड़िया खास नहीं आम हो गया है...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
इसीलिए तो
ReplyDeleteभेड़िया आया, भेड़िया आया
शोर सुनाई नहीं देता
क्योंकि
भेड़िया खास से
आम हो गया है
आज के सच को बयान करती कविता !
सटीक प्रहार अभी के माहौल पर! बहुत खूब..
ReplyDeleteअब तो शिकार कम और शिकारी ज्यादा हो गए हैं ... सुन्दर रचना !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteहर गली चौराहे पर भेडिये ही भेडिये हैं शिकार की तलाश मे। सुन्दर रचना। बधाई।
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