ईश्वर - एक शक्ति
बिना उसके कुछ भी नहीं ...
रश्मि प्रभा
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ईश्वर
आज मै आपके सामने ईश्वर की भक्ति के बारे में अपने विचार रख रही हूँ और आप सभी से चाहती हूँ कि आप भी अपने विचार बताएं -
बचपन से ही हमे ये बताया जाता है के भगवान् जी से जो भी मांगो भगवान् जी वो दे देते है, और सच में हम भगवान् जी से जो भी मांगते वो मिलता था , उस समय हम भगवन जी से नए कपडे अच्छा खाना ऐसी ही चीज़े मांगते थे , और हमारे माता पिता हमारी मांग पूरी करते थे ... तब भगवान् जी मेरे बेस्ट फ्रेंड हुआ करते थे...
थोड़े बड़े हुए तो मांगे बढ़ने लगी , सारी फीलिंग्स माँ पापा को नहीं बता पाते थे तो फिर भगवान् जी का दरवाजा खटखटाते , हम्म तब की मांग थी , पढाई में अच्छे नंबर लाना , वो मांग भी काफी हद तक भगवान् जी ने पूरी की , तो उनके प्रति विश्वास और बढ़ गया.
अब आया जवानी का दौर , और इस उम्र में प्यार होना लाजमी है , , और अपनी नैया पार लगवाने के लिए भगवान् जी को फिर से परेशान करना शुरू कर दिया,बेहद मुश्किलों के बावजूद इस बार भी भगवान् जी ने मेरी प्रार्थना सुन ही ली ..
अब विचार करने की बात ये है कि क्या मैं और मेरे जैसे कई लोग स्वार्थी हैं , हमने भगवान् जी को अपना मित्र
अपनी मांगे पूरी करने के लिए बनाया है, कोई भी परेशानी जीवन में आई तो शुरू हो गए अपने भगवान् जी को परेशान करने में, मैंने बचपन में ये भी सुना था हम जो भी अच्छे या बुरे करम करते है उसका लेखा जोखा ऊपर वाले के पास होता है, हम पूरी दुनिया से झूठ बोल सकते है पर अपने अन्दर के ईश्वर से नहीं , मै तो इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ ...
पता नहीं सचाई क्या है पर मेरी ईश्वर में पूरी आस्था है , और ये मरते दम तक बरक़रार रहेगी , चाहे राहो में कितनी भी मुश्किलें आये.
" भगवान् जो भी करता है , अच्छे के लिए ही करता है"
गीता शर्मा
जिस दिन ये समझ आ जाता है कि भगवान जो करता है अच्छे के लिये करता है उसके बाद कुछ सोचने की जरूरत नही रहती एक अटल विश्वास कायम रहना चाहिये फिर जो होगा अच्छा ही होगा।
ReplyDeleteईश्वर - एक शक्ति
ReplyDeleteबिना उसके कुछ भी नहीं ...
sabse bada sach......
rightly said , God is the ultimate !
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा है ... ।
ReplyDeleteबहुत सच कहा है। ईश्वर में विश्वास ही जीने का सबसे बड़ा सहारा है।
ReplyDeleteशनिवार (१०-९-११) को आपकी कोई पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर है ...कृपया आमंत्रण स्वीकार करें ....और अपने अमूल्य विचार भी दें ..आभार.
ReplyDeleteईश्वर में आस्था रखने वाले ही मुसीबतों का सामना कर सकते हैं !
ReplyDeleteबहुत सुंदर..
ReplyDeleteमेरा तो मानना है कि जो अपने हाथ में ना हो उसे भगवान के ऊपर छोड़ देना चाहिए। क्योंकि मेरा मानना है कि हम सब एक ही ईश्वर की संतान है, तो भला ईश्वर अपनी संतानों के साथ गलत कैसे होने देगें।
बहुत सच कहा है। ईश्वर में विश्वास ही जीने का सबसे बड़ा सहारा है।
ReplyDeleteईश्वर ने तो हम सबको इस दुनिया में भेजा ,प्रत्येक व्यक्ति के कार्यो का निर्धारण करके ,बस हम ही
ReplyDeleteउसकी व्यवस्था में खलल डालते है और बिना कर्म करे ही सब कुछ पाना चाहते है |और यही हम ईश्वर पर से अपना विश्वास खो देते है |स्वामी विवेकानन्द अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के पास अपने परिवार के लिए मदद मांगने गये तो गुरु ने उन्हें कहा -नरेन माँ (काली ) से मांगो !लगातार तीन दिन तक रोज रात में माँ काली (दक्षिणेश्वर कोल्कता )पास गये नरेन किन्तु माँ की भक्ति में लीन वो माँ से कुछ भी न मांग पाए तब ठाकुर (रामकृष्ण परमहंस )ने उन्हें कहा नरेन तू चिंता नहीं कर तेरे परिवार कि जरूरते पूरी हो जाएगी तू जगत को शिक्षा दे जिसके लिए माँ ने तुझे भेजा है |और इसी शक्ति के स्वरूप विवेकानन्द जगत में जाग्रति लाये |
जो ईश्वर पर अटूट विश्वास रखता है उस पर कोइ आफत नहीं आती | वही जीवन को सही दिशा देता है |बहुत अच्छा लगा पढ़ कर |
ReplyDeleteआशा
दुःख में सुमिरन सब करे ,सुख में करें ना कोई
ReplyDeleteजो सुख में सुमिरन करें ,दुःख कहें का होए ||
भगवान जो करता है अच्छे के लिये करता है ! is bbat pe meri bhi atot aastha hai..
ReplyDeleteishwar sarvshaktimaan ek divya shakti kuch bhi samjho hum jo hain usi ke dam se hain.jo vo chahta hai vahi hota hai.
ReplyDeletesarthak abhivaykti....
ReplyDeleteमैं आपकी इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ की हम दूसरों से तो झूठ बोल सकते हैं पर खुद से नहीं और जब सब कुछ उसी ने देना है तो हाथ क्या फैलाना जो देगा वही देगा जो लेगा वो भी उसी का इसलिए सब उसी के हवाले करदो जो होगा देखा जायेगा |
ReplyDeleteअच्छा लेख |
एक दम सत्य ..ईश्वर वह शक्ति है जिसने दुनिया और जीव बनाए ..और वह सबका कल्याण ही चाहता है... उस पर आस्था रखने से हम कठिन मार्ग को भी आसानी से बिना ज्यादा भयभीत हुवे, तय कर सकते हैं... लेकिन भगवान भी उसका साथ देता है जो अपने कर्मो को समझता है और अपने कर्तव्यों से मुह नहीं मोड़ता ....मना कोई अपने कर्तव्यों को टाक में रख कर भगवान की दिन रात पूजा सिर्फ अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए करे तो भगवान ऐसे व्यक्ति को नहीं मिलते... निष्काम कर्म ..बिन फल की इच्छा के ... तो ऐसे व्यक्ति की मुराद भी भगवान बिन मांगे पूरी करता है.... भगवन पर आस्था बनाये रखिये ... यह बहुत जरूरी है ..आज की दौड भाग की जिंदगी में मन में खुशियों का संचार करे ... और कठिनाई के वक़्त भी मन को थोडा सकून भगवान की शरण में मिलता है ...
ReplyDeleteकर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्त्वकर्मणि॥....
गीता में कर्म की महत्ता को बताते हुवे श्रीकृष्ण ने कहा है.
हम पूरी दुनिया से झूठ बोल सकते है पर अपने अन्दर के ईश्वर से नहीं , मै तो इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ ...
ReplyDeletesach hain ......