अमृत की कई बूंदें थीं तेरे नाम में
जिसने तेरा नाम लिया - अमरत्व पा गया



रश्मि प्रभा
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समंदर का सूरज ( अमृता प्रीतम के नाम )


तीन बार
किनारों ने
सिर उठाया
तीनों बार
उनके वजूद को
चूर होते पाया ...
इसलिए
छोड़
किनारों को पीछे
नदी के बहाव को
लगाया गले ....
पर
जानती हो ...
किनारे
छूटते कहाँ है..!
चलते हैं वो तो
साथ ही
या
घुल जाते है
लहरों के आवेग से .....
आज 'तुम'
समंदर हो
और तुम्हारे
माथे पर
चमकता सूरज
कोई और नहीं
तुम्हारे
घुले हुए किनारे है........

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अंजू

12 comments:

  1. वाह ....बहुत खूब ।

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  2. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....

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  3. वाह …………गहन भावो का समावेश्।

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  4. अमृत की कई बूंदें थीं तेरे नाम में
    जिसने तेरा नाम लिया - अमरत्व पा गया

    lovely lines...I post it today on mahh fb wall... lovely diii

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  5. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....

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  6. आज 'तुम'
    समंदर हो
    और तुम्हारे
    माथे पर
    चमकता सूरज
    कोई और नहीं
    तुम्हारे
    घुले हुए किनारे है........

    वाह!

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  7. धन्यवाद रश्मि जी ,इस रचना को वट वृक्ष में स्थान देने पर .........अमृता जी के प्रति मेरी भावाव्यक्ति को आदर देने ,पाठकों तक पहुँचाने के लिए आभार

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