चिर-प्रतीक्षा
!! चिर-प्रतीक्षा !!
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कब तक अवगुंठित रहूँ
जीवन या जीवन-क्षरण में?
मैंने तो न देर की प्रिय!
आपके शुभ संवरण में......
प्रेम वर्षा से प्रिय तुम
आज अंतस सिक्त कर दो,
संग रहना तुम सदा ही
प्रेम के इस आचरण में.......
मैंने तो न देर की प्रिय!
आपके शुभ संवरण में.....
रात्रि की निस्तब्धता में
तार मन के जुड गए
लौ लगी तुमसे रही प्रिय!
आत्म के निज जागरण में.......
मैंने तो न देर की प्रिय!
आपके शुभ संवरण में......
शून्य की अनुभूति पाऊँ
इतना तुम स्वछन्द कर दो,
हूँ चिर प्रतीक्षारत युगों से
देह के इस आवरण में........
मैंने तो न देर की प्रिय!
आपके शुभ संवरण में........
तेरा अलौकिक रूप देखूं
बंद आँखों से मनोहर
करबद्ध हूँ अब ले चलो
सानिध्य के वातावरण में........
मैंने तो न देर की प्रिय!
आपके शुभ संवरण में.......
() ज्योत्स्ना पाण्डेय
विकास नगर,लखनऊ।
http://jyotsnapandey.blogspot.com/
बहुत खूबसूरत रचना ...शुभकामनायें
ReplyDeleteकोमल भावनायें,सुन्दर शब्द!
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (13/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
"शून्य की अनुभूति पाऊँ
ReplyDeleteइतना तुम स्वछन्द कर दो,
हूँ चिर प्रतीक्षारत युगों से
देह के इस आवरण में........"
man aur deh ke bimb me jiwan kee baat karti rachna achhi lagi!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.............
ReplyDeleteखूबसूरत रचना ...शुभकामनायें
ReplyDeleteबेहतरीन!
ReplyDeleteअलौकिक रूप देखूं
ReplyDeleteबंद आँखों से मनोहर
करबद्ध हूँ अब ले चलो
सानिध्य के वातावरण में........
भावमयी प्रस्तुति
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति.............
ReplyDeletebahut sundara bhaavamay racanaa | badhaaI
ReplyDeletemilan ki dharyapoorn pratikchha aur adbhut samerpan bhav sunder samanvay
ReplyDeletebahut sunder rachna
ReplyDeleteसुन्दर कोमल रचना ..!
ReplyDeleteप्रभामयी भावमयी अद्वितीय रचना -
ReplyDeleteशुभकामनाएं -
Jyotsna ji ki ye kavita
ReplyDeleteme pehle bhi padh chuka hun
SF par, aur yaha ek abr fir se
padhkar pathak man prasnn hua
badhai
सुन्दर शब्द ... कोमल भावनायें ....
ReplyDeleteहिन्दी साहित्य के सुधी पाठकों को धन्यवाद!
ReplyDeleteहिंदी दिवस पर हिंदी वर्ष मनाने का संकल्प लें...और हिन्दी की सेवा करें...
हिन्दी सेवकों को नमन के साथ ही मेरी हार्दिक शुभकामनाएं...
सादर- ज्योत्स्ना पाण्डेय
लखनऊ .