!! मेरा शून्य !!
नही मैं नही चाहता
सन्नाटों से बाहर आना
इक नयी शुरुआत करना
ज़ख़्मी यादों का दंश सहते सहते
लहुलुहान हो गया हूँ
गुज़रे लम्हों की सिसकियाँ
बहरा कर देतीं हैं
बीते वक़्त की खुश्बू
साँसें रोक रही है
रोशनी की चकाचौंध
अँधा कर रही है
तुम्हारी देह की मादक गंध
सह नही पाता
खनकती हँसी
सुन नही पाता
गहरी आँखों की कोई
थाह नही पाता
बाहों का हार
नागपाश लगता है
मुझे इस खामोशी में रहने दो
इन अंधेरों में बसने दो
ये मेरा ही शून्य है
इन सन्नाटों में रहने दो ...
दिगंबर नासवा
http://swapnmere.blogspot.com/
दिगंबर नासवा जी और आपकी रचना बढ़िया लगी...आभार
ReplyDeleteयही तो नासवा जी की लेखनी का कमाल है कि हर कविता बेजोड बन जाती है……………बेहद उम्दा लेखन्।
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी आप कि रचना ...बधाई !
ReplyDelete----
यहाँ पधारे - मजदूर
अपने शून्य में कब तक रहेंगे।
ReplyDeleteज़ख़्मी यादों का दंश सहते सहते
ReplyDeleteलहुलुहान हो गया हूँ......बेजोड !
उम्दा रचना ...बधाई !
ReplyDeletesundar aur bhaavpoorn rachana, badhayi
ReplyDeleteहँसते चेहरे पर आंसू ही आंसू होते हैं
ReplyDeleteक्या कहूँ , कैसे कहूँ
वहम था
कि सिरहाने रखा है एक ख्वाब !
.......................
ज़ख़्मी यादों का दंश सहते सहते
लहुलुहान हो गया हूँ
....दोनों कविताओं में भावनाओं की अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर....आभार
http://sharmakailashc.blogspot.com/
बहुत सुन्दर, भावपूर्ण और शानदार रचना ! बेहतरीन प्रस्तुती!
ReplyDeleteनासवा जी खुद शून्य हो कर ही इतनी भावमयी रचना लिखी जा सकती है
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी रचना
बधाई।
नासवा जी ,
ReplyDeleteकभी कभी ऐसी परिस्थिति आ जाती है जब इंसान को कुछ अच्छा नहीं लगता ..और मन शून्य में चला जाता है ...पर यदि शून्य को पा लिया जाये तो समझिए ईश्वार को पा लिया ...
बहुत सुन्दरता से मन के भावों को अभिव्यक्त किया है ..
शून्य से ही तो शुरू होती है अनंत की यात्रा ....
ReplyDeleteअच्छी कविता !
दिगम्बर जी की तो अदा निराली!!!
ReplyDeletebehad khubsurat kriti
ReplyDeletebadhai
आप सभी का बहुत बहुत आभार इस प्रोत्साहन के लिए .... और धन्यवाद रश्मि जी का मंच प्रदान करने की लिए ....
ReplyDeleteबेहद सुन्दर................
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्दों के भाव, दोनो रचनायें अनुपम ।
ReplyDeletesach hai ki ek nayi shuruat karna mushkil jarur hota hai
ReplyDeletebt namumkin ni