!! न जाने कहाँ से आए हैं हम ( गीत )!!
न जाने कहाँ से आए हैं हम
न जाने कहाँ को जाना है
ये ज़िन्दगी जैसे गंगा नदी
जाने कहाँ से आए
कहाँ चली जाये रे...
कभी किसी ख़ुशी के गले मिलके हँस पड़े
कभी आंसू मिले इतने कि रोकर उमड़ पड़े
सहती जाये
सहती जाये
जाने कहाँ से आए कहाँ चली जाये रे....
कहीं घनी अमराइयों की गोद में खो जाये
कहीं किसी पर्वत की फैली बांहों में सो जाये
बढती जाये बढती जाये
जाने कहाँ से आए कहाँ चली जाये रे....
मेरे कई हैं रूप मेरे कई हैं नाम
सब मुझको जानते सब मुझसे ही अनजान
पलटूं नक़ाब कितने सूरत दिखाऊं कितनी
मैं नभ सी हूँ विशाल मैं मिट्टी के कण जितनी
मैं राधा की पीड़ा मैं मीरा का हूँ गीत
मैं ऊधो का सन्देश मैं श्याम का संगीत
मैं संध्या शरद की बसंत की छटा
हेमंत की मैं भोर बरसात की घटा
कवि की प्रेरणा हूँ मैं शायर का हूँ ख्याल
मैं हीर की पलक मैं उर्वशी के बाल
मैं पथ हूँ मैं पथिक मैं सफ़र मैं मंजिल
मैं किश्ती मैं सागर मैं भंवर मैं साहिल
मैं सपनों की आँधी जज़्बात का तूफां
मैं बस्ता हुआ घर मैं उजड़ा आशियाँ
मैं पल मैं पूरा दिन मैं वर्ष मैं सदी
मैं ठहरा हुआ जल बहती हुई नदी
बहती जाये बहती जाये
जाने कहाँ से आए कहाँ चली जाये रे
न जाने कहाँ से आए हैं हम ............
() नीलम प्रभा
डी पी एस, पटना
कवि की प्रेरणा हूँ मैं शायर का हूँ ख्याल
ReplyDeletebahut sundar
बहुत सुन्दर गीत ..
ReplyDelete'मैं राधा की पीड़ा मैं मीरा का हूँ गीत
ReplyDeleteमैं ऊधो का सन्देश मैं श्याम का संगीत'
'मैं हीर की पलक मैं उर्वशी के बाल'
और स्वयम?
'न जाने कहाँ से आए हैं हम
न जाने कहाँ को जाना है' पंक्तियाँ
जैसे 'न जाने कहाँ से आई है ,
न जाने कहाँ को जायेगी ये लड़की'गाने की ही पंक्तियाँ दुहरा दी गई.
कैसे कह दूँ कि 'दिल को छू गई आपकी पंक्तियाँ' ????
अपनी रचना,अपनी पहचान,अपनी छाप ..जैसे खुद के गर्भ से जन्मे बच्चे हमारे ही प्रतिरूप होते हैं.वही बात हमारी कविता में.........??????
बहुत सुन्दर विचार , आभार !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गीत है यह, अच्छा लगा पढ़कर
ReplyDeleteसुन्दर और सारगर्भित अभिव्यक्ति
ReplyDeleteज़िन्दगी कहती है अपने अनगिनत रूपों के विषय में कि
ReplyDeleteमैं हीर की पलक ... मैं.........
मैं यानि कवि नहीं , मैं यानि ज़िन्दगी ,
ज़िन्दगी अपना परिचय देती है.............. और इतनी श्रेष्ठ रचना को इतने बेतुके गीत से कैसे जोड़ सकते हैं !
achchhee rachana, sadhuvaad sweekaren
ReplyDeleteadbhut............:)
ReplyDeleteshandaar........)
sundar abhivyakti, shubhkaamnaayen.
ReplyDeletebahut hi utkristh rachna...!
ReplyDeletebahut sundar ..
ReplyDeleteजाने कहाँ से आए कहाँ चली जाये रे
ReplyDeleteन जाने कहाँ से आए हैं हम ....बहुत ही सुन्दर पंक्तियां
bahut sundar rachna
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