सात फेरों के साथ लड़की के नसीब में सबसे पहले एक महाग्रंथ आता है -'रामायण'...
ज्वालामुखी यूँ ही नहीं फटती और जब विचारों के तख़्त पलट जाते हैं तो रिश्ते उबाऊ हो जाते हैं , एक छत के नीचे सप्तपदी के मन्त्रों से बंधे चेहरे अजनबी हो जाते हैं .....ऐसे में यही कहता है मन - जब ईश्वर खुशियाँ ही खुशियाँ , प्यार ही प्यार दे तो भूले से भी कोई सांकलें न लगाओ.... प्यार देर तक किवाड़ नहीं खटखटाता ! ठेस लगने से तो बेकल सर पटकती हवाएँ भी रुख बदल लेती हैं ...
()रश्मि प्रभा



"एक सफ़र ऐसा भी……"

भार्या से
प्रेयसी बनने की
संपूर्ण चेष्टाओं
को धूल- धूसरित
करती तुम्हारी
हर चेष्टा जैसे
आंदोलित कर देती
मन को और
फिर एक बार
नए जोश से
मन फिर ढूँढता
नए -नए आयाम
प्रेयसी के भेदों
को टटोलता
खोजता
हर बार
एक नाकाम -सी
कोशिश करता
और फिर धूमिल
पड़ जाती आशाओं में ,
अपने नेह का सावन भरता
मगर कभी
ना समझ पाता
एक छोटा सा सच
प्रेयसी को भार्या
बनाया जा सकता है
मगर
भार्या कभी प्रेयसी
नहीं बनाई जाती
उस पर तो
अधिकारों का बोझ
लादा जाता है
मनुहारों से नहीं
उपजाई जाती
इक अपनी
जायदाद सम
प्रयोग में
लाया जाता है
माणिकों सी
सहेजी नहीं जाती
हकीकत के धरातल
पर बैठाई जताई है
ख्वाबों में नहीं
सजाई जाती
संस्कारों की वेणी
गुँथवाई जाती है
उसकी वेणी में पुष्प
नहीं सजाये जाते
अरमानो की तपती
आग मे झुलसायी
जाती है
सपनो के हार नहीं
पहनाये जाते
शब्दों के व्यंग्य
बाणों से बींधी जाती है
ग़ज़लों की चाशनी में
नहीं डुबाई जाती
आस्था की बलि वेदी पर
मिटाई जाती है
मगर प्रेम की मूरत बना
पूजी नहीं जाती
बस इतना सा फर्क
ना समझ पाता है
ये मन
क्यूँ भाग- भाग
जाता है
और इतना ना
समझ पाता है
प्रेयसी बनने की आग में
जलती भार्या का सफ़र
सिर्फ भार्या पर ही सिमट
जाता है
सिर्फ भार्या पर ही.................

()वंदना गुप्ता

14 comments:

  1. रश्मि जी,
    वटवृक्ष पर मुझे जगह देने के लिये आपकी आभारी हूँ। अपना स्नेह बनाये रखियेगा।

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  2. "आस्था की बलि वेदी पर
    मिटाई जाती है
    मगर प्रेम की मूरत बना
    पूजी नहीं जाती"...
    वंदना जी को हम उनके ब्लॉग पर भी पढ़ते आ रहे हैं और यहाँ भी पढ़कर अच्छा लगा.. उनकी हर कविता में ए़क नयी बात होती है और यहाँ भी है.. नारी मन को बहुत ही सूक्ष्मता से अभिव्यक्ति करती हैं अपनी कविताओं में ... यहाँ भी उन्होंने नए तरह से इस बात को कह रही हैं.. बहुत सुंदर कविता.. रश्मि जी का विशेष आभार कवियत्री तथा कविता चयन के लिए ...

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  3. bahut achchhi bat kahi hai, hamesha balidan hi pooja jata hai aur bali ki vedi par vahi kurban hoti hai.

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  4. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , बहुत सुन्दर भाव !

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  5. हर बार
    एक नाकाम -सी
    कोशिश करता
    और फिर धूमिल
    पड़ जाती आशाओं में ,
    अपने नेह का सावन भरता
    मगर कभी
    ना समझ पाता
    एक छोटा सा सच
    प्रेयसी को भार्या
    बनाया जा सकता है

    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  6. दर्द के धरातल पर लिखी गयी एक प्रेम कविया.....

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  7. बेटी की बात आती है तो यूँहीं मेरी आँखें भर आती है.... बहुत सुंदर...

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  8. प्रेयसी से भार्या का सफ़र सिर्फ भार्या पर ही टिक जाता है ...
    प्रेयसी भार्या हो जाती है ...
    मगर भार्या प्रेयसी हो जाए ...दुर्लभ ही..!

    बहुत मन भाई कविता!

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  9. प्रेयसी बनने की आग में
    जलती भार्या का सफ़र
    सिर्फ भार्या पर ही सिमट
    जाता है
    सिर्फ भार्या पर ही................
    naari ki antarvyatha se guzarti kavita ....
    sundar prastuti!

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  10. प्रेयसी बनने की आग में
    जलती भार्या का सफ़र
    सिर्फ भार्या पर ही सिमट
    जाता है
    सिर्फ भार्या पर ही.................

    khubsurat......:)

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  11. हर बार
    एक नाकाम -सी
    कोशिश करता
    और फिर धूमिल
    पड़ जाती आशाओं में ,
    अपने नेह का सावन भरता
    मगर कभी
    ना समझ पाता
    एक छोटा सा सच
    प्रेयसी को भार्या
    बनाया जा सकता है............... shabdhin kar diyaa aapne to........

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  12. हिन्दी साहित्य पर आकर प्रसन्नता अनुभव हुई।शुभकामनाएं।
    हम केरला के हैं।
    अन्य भाषा के रूप में हिंदी सीख रहेङैं।
    सीखने का और सिखाने का कोई तरीका या cds
    कहाँ से मिलेंगे।
    आप की कविताएँ अनुमति से हमारे पाठकों तक पहूँचाने की कोषिष करता हँ।

    http://hindisopan.blogspot.com

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