चकाचौंध गर ना हुआ, किसको है परवाह।
दीया इक घर घर जले, यही सुमन की चाह।।

रात अमावस की भले, सुमन तिमिर हो दूर।
दीप जले इक देहरी, अन्धेरा मजबूर।।

हाथ पटाखे हैं लिए, सुमन खुशी यह देख।
कुछ बच्चे बस देखते, यही भाग्य का लेख।।

कैसी दीवाली सुमन, मँहगाई की मार।
और मिलावट भी यहाँ, क्यों दिल्ली लाचार?

स्वाति बूंद की आस में, सुमन साल भर सीप।
अन्धकार दिल से मिटे, हर आँगन में दीप।।

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श्यामल सुमन 
http://manoramsuman.blogspot.in/

6 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति

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  2. दीप पर्व की आपको व आपके परिवार को ढेरों शुभकामनायें

    मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ

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  3. वाह ... बेहतरीन
    '' दीप पर्व की अनंत शुभकामनाएं ''

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  4. बहुत सुंदर!!
    दीपावली की अनंत शुभकामनाएँ!!

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  5. सुन्दर प्रस्तुति..दीपावली की अनंत शुभकामनाएँ!!

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  6. अच्छी व सार्थक रचना !
    "दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!" :-)
    ~सादर !!!

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