कुछ हाइकु अवधी भाषा में : रवीन्द्र प्रभात कुछ हाइकु अवधी भाषा में : रवीन्द्र प्रभात

(एक) आंख क पानी राजनीति म जात मरि जात है। (दो) का कहै यार ओरहन सुनके दुखै कपार। (तीन) फुटै करम देस मा बोवै धान रोबैं किसान। (चार) ए सरकार कैसे कौर घोटाई मंहगाई म। (पांच) चतुरी चच्चा खेते- खेते कमाए अंबानी खाए। (छ:) सभै बीस हैं केहू ना ओनइस निपोरै खीस। (सात) खुबै लुटाए जे आवै लूटै खाए लोकतंत्र म। (आ…

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17May2020

हाइगा कार्यशाला में रचनाकारों ने बिखेरे प्रकृति के रंग हाइगा कार्यशाला में रचनाकारों ने बिखेरे प्रकृति के रंग

भारत ऋतुओं का देश है, जहां प्रकृति का वैविध्यपूर्ण सौंदर्य बिखरा पड़ा है। यही कारण है, कि फूलों का देश जापान को छोड़कर आने की दु: खद स्मृति हाइकु काव्य को कभी अक्रांत नहीं कर पाई। वह इस देश को भी  अपने घर की मानिंद महसूस करती रही। यही कारण है कि हिन्दी साहित्य जगत के समस्त हाइकु प्रेमी और हाइकु सेव…

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12May2020

मजदूर दिवस पर मजदूर को समर्पित  हाइगामजदूर दिवस पर मजदूर को समर्पित हाइगा

"हाइकु-गंगा" व्हाट्स एप ग्रुप द्वारा 'श्रमिक दिवस' पर आयोजित विशेष हाइगा कार्यशाला से लिये गये कतिपय  हाइगा - - - कल्पना दुबे। अंजु निगम …

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01May2020
 
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