मुक्ति ! कहते हैं समय ठहरता नहीं , मौसम बदलते हैं , तेवर बदलते हैं , चाँद भी पूर्णता से परे होताहै और अमावस की रात आती है ... यूँ कहें अमावस जीवन का सत्य है, एक अध्यात्म की खोज -जहाँ से ज्ञान मार्ग शुरू होता है . कभी राम, कभी कृष्ण , कभी बुद्ध , कभी साई, कभी श्री ... जो अमावस को प्रकाशमय करते हैं और कहते हैं - समय, मौसम, तेवर , पूरा चाँद सब तुम्हारे भीतर हैं , थोड़ी देर रुको खुद को पहचानो और जानो...........वटवृक्ष एक ठहराव है, खुद को जानने का, दुनिया को बताने का....... () रश्मि प्रभा !!मुक्ति!!मेरे पास चिट्ठियों का अम्बार था,आदतन,जिन्हें संभाल कर रखती थीगाहे-बगाहे उलटते-पुलटते,समय पाकर लगा-अधिकाँश इसमें निरर्थक हैं-रद्दी कागजों की ढेर!फिर.....मैंने उन्हें नदी में डलवा दिया !मेरे पास कुछेक सालों की लिखी डायरियों का संग्रह था,फुर्सत में-पलटते हुए पाया,उनके पृष्ठों पर आँसुओं के कतरे थे-बाद में ये कतरे किसी को भिंगो सकते हैं,ये सोच-मैंने मन को मजबूत किया,फिर उन्हें भी नदी के हवाले कर दिया!अब,....मेरे पास कुछ नहीं,सिर्फ़ एक पोटली बची है-जिंदगी के लंबे सफर की!यादें, जिसमें भोर की चहचहाती चिडियों का कलरव है!यादें,जिसमें नदी के मोहक चाल की गुनगुनाहट है!दिल जीतनेवाली अटपटी बातों की मधुर रागिनी है!बोझिल क्षणों को छू मंतर करनेवाले कहकहों की गूंज हैजीत-हार और रूठने-मनाने का अनुपम खेल है!खट्टी-मीठी बातों की फुलझडी हैदिन का मनोरम उजास है,रात की जादुई निस्तब्धता है,छोटी-छोटी खुशियों की फुहार में भीगने का उपक्रम हैऔर कभी न भुलाए जानेवाले दर्द का आख्यान भी है!ख्याल आता है,पोटली को बहा देती तो मुक्ति मिल जाती!........पर अगले ही क्षण हँसी आती है- मुक्ति शब्द -प्रश्न-चिन्ह बनकर खड़ा हो जाता है,जिसका जवाब नहीं!!!तो, जतन से सहेज रखा है -यादों की इस पोटली कोजिस दिन विदा लूंगी -यह भी साथ चली जायेगी!()सरस्वती प्रसाद मुक्ति ! कहते हैं समय ठहरता नहीं , मौसम बदलते हैं , तेवर बदलते हैं , चाँद भी पूर्णता से परे होताहै और अमावस की रात आती है ... यूँ कहें अमावस जीवन का ... Read more » 11:00 AM