तेरी हर बात पर हम ऐतबार करते रहे
तुम हमें छलते रहे,हम तुमसे प्यार करते रहे ।
तुम हमें छलते रहे,हम तुमसे प्यार करते रहे ।
कोशिशें करते तो मंज़िल ज़रूर मिल जातीं
मगर अफ़सोस तुम वायदे हज़ार करते रहे ।
नाम उनको भी मेरा याद तलक नहीं आया
जिनकी हस्ती हम ख़ुद मे शुमार करते रहे ।
मुझको मालूम था तुम नहीं आओगे फिर भी
ज़िंदा उम्मीद लिये हम इन्तिज़ार करते रहे ।
ज़िन्दगी यूँ तो गुज़र रही है पहले की तरह
पर ज़ख़्म पिछले कुछ ज़ीस्त ख्वार करते रहे ।
@दीपक शर्मा
मगर अफ़सोस तुम वायदे हज़ार करते रहे ।
नाम उनको भी मेरा याद तलक नहीं आया
जिनकी हस्ती हम ख़ुद मे शुमार करते रहे ।
मुझको मालूम था तुम नहीं आओगे फिर भी
ज़िंदा उम्मीद लिये हम इन्तिज़ार करते रहे ।
ज़िन्दगी यूँ तो गुज़र रही है पहले की तरह
पर ज़ख़्म पिछले कुछ ज़ीस्त ख्वार करते रहे ।
एक घर में कहकहे और शहनाई की आवाज़
'दीपक' अरमान मेरा बस तार - तार करते रहे
'दीपक' अरमान मेरा बस तार - तार करते रहे
@दीपक शर्मा
सुंदर गजल ।
ReplyDeleteवाह ! बेहतरीन ख्यालात
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
ReplyDelete............. बेहतरीन ख्यालात
ReplyDelete