प्रेमचंद की कृतियाँ भारत के सर्वाधिक विशाल और विस्तृत वर्ग की कृतियाँ हैं। उन्होंने कुल 15 उपन्यास, 300 से कुछ अधिक कहानियाँ, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें तथा हज़ारों पृष्ठों के लेख, सम्पादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना की। जिस युग में प्रेमचंद ने क़लम उठाई थी, उस समय बंकिम बाबू थे, शरतचंद्र थे और इसके अलावा टॉलस्टॉय जैसे रुसी साहित्यकार थे। लेकिन होते-होते उन्होंने गोदान जैसे कालजयी उपन्यास की रचना की जो कि एक आधुनिक क्लासिक माना जाता है। उन्होंने चीज़ों को खुद गढ़ा और खुद आकार दिया।
'गोदान' में समान्तर रूप से दो कथाएँ चलती हैं - एक ग्राम्य कथा और दूसरी नागरिक कथा, लेकिन इन दोनो कथाओं में परस्पर सम्बद्धता तथा सन्तुलन पाया जाता है। ये दोनो कथाएं इस उपन्यास की दुर्बलता नहीं वरन, सशक्त विशेषता है।
यदि हमें तत्कालीन समय के भारत वर्ष को समझना है तो हमें निश्चित रूप से गोदान को पढना चाहिए इसमें देश,काल की परिस्थितियों का सटीक वर्णन किया गया है |
आज हम ब्लॉगोत्सव में प्रस्तुत करने जा रहे हैं प्रेमचंद का अमर उपन्यास गोदान पर आधारित नाटक होरी।कथा नायक होरी की वेदना पाठको के मन में गहरी संवेदना भर देती है| संयुक्त परिवार के विघटन की पीड़ा होरी को तोड़ देती है परन्तु गोदान की इच्छा उसे जीवित रखती है और वह यह इच्छा मन में लिए ही वह इस दुनिया से कूच कर जाता है|
आज हम ब्लॉगोत्सव में प्रस्तुत करने जा रहे हैं प्रेमचंद का अमर उपन्यास गोदान पर आधारित नाटक होरी।कथा नायक होरी की वेदना पाठको के मन में गहरी संवेदना भर देती है| संयुक्त परिवार के विघटन की पीड़ा होरी को तोड़ देती है परन्तु गोदान की इच्छा उसे जीवित रखती है और वह यह इच्छा मन में लिए ही वह इस दुनिया से कूच कर जाता है|
muje psand aaya ye RSCIT Old Papers in Hindi
ReplyDeletenice thank you for this RSCIT Admit Card Download
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