कालजयी कथाकार एवं मनीषी डा. नरेन्द्र कोहली की गणना आधुनिक हिन्दी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में होती है। कोहली जी ने साहित्य के सभी प्रमुख विधाओं (यथा उपन्यास, व्यंग, नाटक, कहानी) एवं गौण विधाओं (यथा संस्मरण, निबंध, पत्र आदि) और आलोचनात्मक साहित्य में अपनी लेखनी चलाई। उन्होंने शताधिक श्रेष्ठ ग्रंथों का सृजन किया है। हिन्दी साहित्य में 'महाकाव्यात्मक उपन्यास' की विधा को प्रारंभ करने का श्रेय नरेंद्र कोहली को ही जाता है। पौराणिक एवं ऐतिहासिक चरित्रों की गुत्थियों को सुलझाते हुए उनके माध्यम से आधुनिक सामाज की समस्याओं एवं उनके समाधान को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना कोहली की अन्यतम विशेषता है। कोहलीजी सांस्कृतिक राष्ट्रवादी साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जीवन-शैली एवं दर्शन का सम्यक् परिचय करवाया है।
कहा जाता है कि हिन्दी उपन्यास के विकास में नरेन्द्र कोहली का योगदान गुणात्मक भी है और मात्रात्मक भी। उन्होंने ऐतिहासिक उपन्यास भी लिखे, सामाजिक उपन्यास भी और पौराणिक उपन्यास भी. पौराणिक उपन्यास का वर्ग तो उनके लेखन के बाद ही हिन्दी साहित्य में एक पृथक वर्गीकरण के रूप में उभर कर सामने आया। आज प्रस्तुत है उनकी कालजयी कृति 'गारे की दीवार' का मंचन:
भाग: प्रथम
भाग: प्रथम
भाग: द्वितीय
भाग: तृतीय
नरेन्द्र कोहली रचित हिन्दी नाटक 'गारे की दीवार'। प्रतिध्वनि नाटक मंडली की प्रस्तुति।
निर्देशक - अगस्त्य कोहली
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साझा करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...
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