आज हम एक ऐसा सामाजिक नाटक प्रस्तुत करने जा रहे हैं, जो स्त्री-पुरुष की भावनाओं का सजीव चित्रण है और समाज के कोढ़ को उजागर करता है। इस नाटक का नाम है "हजारों ख्वाहिशें ऐसी"। इस नाटक का मंचन पहली बार 6 अगस्त 2011 को नई दिल्ली स्थित श्री राम सेंटर मे किया गया था। तीन भागों में प्रस्तुत यह नाटक एक ऐसे स्त्री पुरुष की कहानी है जिसके चार बेटे होते हैं किन्तु बेटी एक भी नही। दोनों एक लड़की को गोद लेते हैं और कुछ दिन बाद उसकी शादी की तैयारी करने लगते हैं। शादी तय भी हो जाती है, किन्तु अचानक वकील साहब की पत्नी का निधन हो जाता है। मरने के समय पत्नी अपने पति से यह वचन लेती है कि उसके मरने के बाद वह उसकी विदाई धूम-धाम से करेंगे। लेकिन पत्नी के मरते ही वह लड़की वकील साहब की ज़िंदगी में पत्नी की कमी पूरी करने लगती है और वकील साहब का उस लड़की की दूसरे लड़के से शादी का इरादा बादल देना पड़ता है... आगे खुद देखें और बताए कैसा लगा यह नाटक?
भाग: एक
भाग: दो
भाग: तीन
भाग: चार
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