हरसिंगार , चाँद , चाँदनी
मैं और तुम ...
रात महकती रही
रश्मि प्रभा
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हरसिंगार की महक !......
यहीं
इसी
हर सिंगार के नीचे
जब धवल पुष्प
एक एक कर झर रहे थे
हमारे तन पर .
हमारे चारों तरफ ,
तुम
मेरे सीने पर
अपनी उँगलियों से
लिख रही थी
मेरा ही नाम
यूँ ही !
प्रकृति
एकदम मौन थी
जैसे अभी शब्द की
उत्पत्ति ही नही हुई हो
समय भी
तनिक सा रुक गया था
मानो वो भी
साक्षी होना चाह रहा था
इस परमात्मिक प्रेम का !
चाँद
टकटकी लगाए
देख रहा था
हमारे
मोद को
मिलन को
प्रेम को ,
हमारी डूबन को
हमारी समाधि को !
सहसा
चाँद ने
शुभ्र चांदनी की
एक चादर
डाल दिया हमारे ऊपर
और
मुस्कराकर
अपनी मंजिल को चल पड़ा !
धीरे धीरे ...
हम ढक गये
हरसिंगार के श्वेत पुष्पों से
देखो न
हमारी सांसें
अभी भी
वैसी ही
महक रही हैं !!
-आनंद द्विवेदी
हरसिंगार , चाँद , चाँदनी
ReplyDeleteमैं और तुम ...
रात महकती रही
वाह ...बहुत खूब ।
गूढ़ अर्थ लिए छठ की बधाई
ReplyDeleteधीरे धीरे ...
ReplyDeleteहम ढक गये
हरसिंगार के श्वेत पुष्पों से
देखो न
हमारी सांसें
अभी भी
वैसी ही
महक रही हैं !!
कहते है हरसिंगार का फूल इतना पवित्र होता है , कि झड़ कर जमीन पर गिड़ा हो तो भी भगवन पर चढ़ाया जा सकता है , दूसरा फूल नहीं चढ़ाया जाता.... !!
पवित्र प्रेम का गवाह उससे बेहतर कोई और हो ही नहीं सकता.... !!!!
sunder divya swapn se saji rachna ...
ReplyDeleteSHABD-SHABD SE UMDTA PREM....BAHUT SUNDAR...
ReplyDeleteyahan tak aa rahi hai harshingar ki khooshboo.......
ReplyDeleteक्या कहने,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
vaah kya kahne laajabaab likha hai.
ReplyDeleteतुम
ReplyDeleteमेरे सीने पर
अपनी उँगलियों से
लिख रही थी
मेरा ही नाम
यूँ ही !
गज़ब की अभिव्यक्ति. बेहद खूबसूरत और संवेदनशील.
भावपूर्ण गीत !
ReplyDeleteबेहद रोमांटिक...
ReplyDeleteहरसिंगार , चाँद , चाँदनी
ReplyDeleteमैं और तुम ...
रात महकती रही. बेहद खूबसूरत.
मेरी भावनाओं का हरसिंगार ...और रश्मि दी के आशीर्वाद की दिव्यता |
ReplyDeleteआप सभी सुधी पाठकों के स्नेह की वर्षा, वातावरण तो दिव्य होना ही था ! सबसे पहले सभी पाठकों को हार्दिक धन्यवाद
और फिर दीदी, कल नहीं आ पाया मैं दी! और अब आपका स्नेह लुटाने का अंदाज भी समझ में आने लगा है अभी केवल पांव छू रहा हूँ..ज्यादा शब्द आपको भी नहीं चाहिए जनता हूँ!!