बया ने भी ले लिया प्रण
करेगा नीड़ का निर्माण खुद
देखेगा - राधा बया कब तक रूकती है ....!
रश्मि प्रभा
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ऐसी मान्यता है कि नर बया घोसला बुनना शुरू करता है और आधा निर्माण हो जाने पर घोंसले के बाहर न्रत्त्य
करता है जब तक कि कोई मादा बया उसके न्रत्त्य पर रीझ कर उसके पास न आ जाए , फिर दोनों मिलकर
घर ( नीड़ ) पूरा करते हैं , उसके बाद बया उसमें अपने बच्चों को जनम देती है , इसे लेकर एक रचना :-
नीड़ का निर्माण आधा
कर नीड़ का निर्माण आधा
नर बया ने मौन साधा
न्रत्त्य कर कर थक गया तन
पर न आई एक राधा
उड़ गया फिर दुसरे वन
इक नया संकल्प लेकर
अब बुनूँगा नीड़ फिर से
स्वयं का सर्वस्व देकर
एक शंका घेरती मन
हो चुका इक बार ऐसा
बांसुरी कि तान पर भी
राधिका ने मौन साधा
पर न पीछे अब हटूंगा
नीड़ को आकार दूंगा
और अंतिम सांस तक मैं
आस उसकी में रहूँगा
है प्रणय में शक्ति कितनी
यह समय बतलायेगा
जब न्रत्त्य में लूंगा समाधि
बी एल गौड़
जब न्रत्त्य में लूंगा समाधि
ReplyDeleteढूँढती आएगी राधा
बेहतरीन प्रस्तुति ।
ekdam lajabab.......aur nai jankari bhi mili.....
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeleteउड़ गया फिर दुसरे वन
ReplyDeleteइक नया संकल्प लेकर
अब बुनूँगा नीड़ फिर से
स्वयं का सर्वस्व देकर
एक शंका घेरती मन
हो चुका इक बार ऐसा
बांसुरी कि तान पर भी
राधिका ने मौन साधा
सुन्दर गीत....
सादर....
जब न्रत्त्य में लूंगा समाधि
ReplyDeleteढूँढती आएगी राधा
॥समाधि की अवस्था मे ही तो प्रेम की पूर्णता है।
"नीड़ का निर्माण" फिर बच्चन जी की जीवनी का दूसरा भाग है,
ReplyDeleteumdaa.....bahut khub
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteअदबुद्ध ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर,
ReplyDeleteक्या कहने
Bhaawpoorna,bahut umda abhivyakti !
ReplyDeleteडेडिकेशन ऐसा ही होना चाहिए...
ReplyDeleteप्रणय की शक्ति ही एसा ऊंचा मनोबल दे सकती है। सुंदर भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteलाज़वाब अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteजिजीविषा ..
ReplyDeleteलाजबाब प्रस्तुति
ReplyDeleteGyan Darpan
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सुन्दरं भावमय रचना
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