सबसे बड़ा पाचक
नींद की गोली
- दूसरे की आलोचना , सिर्फ आलोचना !
अपनी ज़िन्दगी सबको चमकती सफेदी लगती है
रश्मि प्रभा



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"एक बदसूरत सच जिंदगी का"

सुनो बहन आज उसकी लड़की बाईक से एक लड़के के साथ गयी
मिसेज वर्मा ने धीमे से फुसफुसाया
मिसेज शर्मा को समाचार से अवगत कराया .
हर घटना का आदान प्रदान यहाँ
अक्सर इसी प्रकार होता है
हर समाचार से हर एक इंसान
आपस में बात कर परिचित होता है .
किस घर में आज क्या बना है खाने में ,
कहाँ आपस में किससे किसका झगडा हुआ,
किस लड़की का किस लड़के के साथ ,
कहाँ कहाँ, कब-कब कोई लफड़ा हुआ .
कहते है सब फिर यही समाज है ,
इसी प्रकार से घटनाओ को ,
सब तक पहुंचाना इसका कामकाज है .
फिर क्या हुआ इस समाज को?
सात माह तक वो बंद रही घर में
पल –पल उनका अंतर्मन रोता रहा ,
समाज सारा जो हर घटना को
नमक मिर्च लगा सब तक पहुंचाता है,
अनजान बना कहाँ सोता रहा ??
लगभग २१० दिन तक पडोस को
पड़ोसी की कोई खबर नहीं मिली ,
न कोई जुबान पांच हजार चालीस घंटे तक
इस घटना के बारे में किसी के सामने हिली .
लगभग तीन लाख दो हज़ार चार सौ मिनट
वो पल-पल खुदकुशी कर रही थीं,
अपने ही घर में अपनी कब्र बनने का,
इंतज़ार वो दो बहनें कर रही थी .
फिर अचानक क्या हुआ था अब ,
जो घटना सबके सामने आ गयी,
लगभग एक करोड इक्यासी लाख चवालीस हज़ार उन,
पलों से सडती उनकी जिंदगी की गंध ,
पडोसी की नाक से टकरा गयी .
अब खुद का रहना इस बदबू में
जब सहन करना मुश्किल था ,
तब अपना ये तथा कथित समाज
एक बार फिर से जाग गया ,
उनकी ऐसी बदतर हालत के बारे में ,
तब हर एक पडोसी जान गया .
उनकी हिम्मत भी तो जैसे टूट चुकी थी
बड़ी बहन की सांस भी अब छूट चुकी थी,
अंतिम सांसे लेती लाशो को अब
अस्पताल पहुँचाया गया था ,
टीवी चेनलों से यह खबर प्रसारित कर
सोते समाज को फिर जगाया गया था .

sakhi with feelings

16 comments:

  1. बहुत ही अच्छे ढंग से समाज की कडुवी सच्चाई को उजागर करती है ये रचना।

    सच में जब दोनों बहनों की खबर टीवी पर आई थी और उन्हें देखा तो मन बहुत रोया था उस दिन।

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  2. मार्मिक सच ...और समाज का एक बदसूरत चहेरा

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  3. सोया समाज जल्दी जगता नहीं है ।
    बहुत खूबसूरती से इस बदसूरत सच को शब्द बख्शें हैं ।

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  4. sach hai yahi hai samaj ki badsurati,badsurati ke lie khoobsoorti ke sath likhi hui rachna

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  5. समाज और आम लोगों की ज़िंदगी के सच को उजागर करती खूबसूरत रचना।

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  6. बेहद मार्मिक!
    हमारी तन्द्रा कब भंग होगी...

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  7. आप की यह रचना और उन दोनों बहनों का दर्द समाज को झकझोर देगा ।

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  8. ये केवल रचना नहीं एक कड़ुवा सच है

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  9. आस पास से इतना बेखबर कैसे रहा जा सकता है !
    मार्मिक!

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  10. समाज की सच्चाई से खबरदार करती प्रस्तुति.

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  11. आपकी पोस्ट सोमबार १४/११/११ को ब्लोगर्स मीट वीकली (१७)के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह हिंदी भाषा की सेवा अपनी रचनाओं के द्वारा करते रहें यही कामना है /आपका "ब्लोगर्स मीट वीकली (१७) के मंच पर स्वागत है /जरुर पधारें /आभार /

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  12. कटु सत्य...मार्मिक प्रस्तुति..

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