कुछ एहसास खरीदे नहीं जा सकते
उनको जीने के लिए एहसास होने चाहिए ...
रश्मि प्रभा
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इसी में खुश रहती हूँ
उसकी
चुनडी ,लहंगा
पुराना पैबंद
लगा होता था
पर उसे सूर्ख रंगों की
चूड़ियां
पहनने का शौक था
जब भी आती
कलाईयों में पहनी
चूड़ियों को खनकाती
रहती
एक बार रहा ना गया
उसे कह ही दिया
इतने पैसे चूड़ियों पर
खर्च करती हो
कुछ पैसे कपड़ों पर भी
खर्च कर लिया करो
उसका मुंह रुआंसा
हो गया
आँखें भर आयी
कहने लगी बाबूजी
चूड़ियां खरीदती नहीं हूँ
तीसरी गली वाले
बाबूजी की
चूड़ियों की दूकान है
वहां झाडू लगाती हूँ
काम के बदले में
पैसे की जगह चूड़ियां
लेती हूँ
रंग बिरंगी चूड़ियां
मुझे गरीबी का
अहसास नहीं होने देती
एक यही इच्छा है
जो पूरी कर सकती हूँ
निरंतर
इसी में खुश रहती हूँ
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"
कुछ एहसास खरीदे नहीं जा सकते
ReplyDeleteउनको जीने के लिए एहसास होने चाहिए ...
wakayee.....ehsaas ki kalpna nahin hoti sirf mahsoos kiya ja sakta hai.
रंग बिरंगी चूड़ियां
ReplyDeleteमुझे गरीबी का
अहसास नहीं होने देती
bahut badi baat......
वाह ! चूडियाँ यदि अमीरी का अहसास दिलाती हैं तो सचमुच वे अनमोल हैं...
ReplyDeleteसबकी अपनी अपनी ख़ुशी ...खुशियों की वजह जितनी छोटी , वह उतना ही अमीर !
ReplyDeleteरंग बिरंगी चूड़ियां
ReplyDeleteमुझे गरीबी का
अहसास नहीं होने देती
बहुत ही बढि़या ।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteकुछ एहसास खरीदे नहीं जा सकते
ReplyDeleteउनको जीने के लिए एहसास होने चाहिए ...
....बहुत सुन्दर...छोटी छोटी खुशियों को समेटना ही जीवन है...
खुशियाँ कैसे भी समेटी जा सकती हैं इस भाव को दर्शाती सुन्दर रचना के लिये बधाई राजेन्द्र जी को।
ReplyDeleteअमूल्य एहसास!
ReplyDeletebehtreen....
ReplyDeleteअपनी अपनी खुशी।
ReplyDeleteखनकती चूड़ियाँ और खनकती ख़ुशी ...बहुत सुंदर ...
ReplyDeleteखुश रहने के लिए...जरुरी है कोई शौक़...जो हमें हम बनाये रक्खे...सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteखुश रहने के लिए...जरुरी है कोई शौक़...जो हमें हम बनाये रक्खे...सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeletesamast paathkon ko dhanywaad
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