बड़ा प्यारा हमने तुमसे ये रिश्ता अजीब रखा है,
सभी दोस्तों से तुमको, हद से ज्यादा अज़ीज़ रखा है..
महरबानी जो तुमने कबूल की है दोस्ती मेरी,
शुक्रिया तेरा जो मुझे अपने दिल के करीब रखा है..
ये मरासिम रहे बरकरार ये तमन्ना है मेरी,
तेरा नाम आज से हमने अपना नसीब रखा है..
ये दोस्ती का शजर यूँही फलता रहे उम्र भर,
इस पौधे का हमने अपने हाथों से बीज रखा है..
है तुम पर नहीं कोई शक, फिर भी दिल घबराता है,
शायद इसने भी दुनियादारी से कुछ सीख रखा है..
न जाना मुझे छोड़ कर मझधार में ए दोस्त,
उड़ जाएगा वो परिंदा, जो मुट्ठी में भींच रखा है...
है तुम पर नहीं कोई शक, फिर भी दिल घबराता है,
ReplyDeleteशायद इसने भी दुनियादारी से कुछ सीख रखा है..
न जाना मुझे छोड़ कर मझधार में ए दोस्त,
उड़ जाएगा वो परिंदा, जो मुट्ठी में भींच रखा है...
वाह ...बहुत खूब ।
बहुत सुंदर,
ReplyDeleteक्या कहने
सच्चे भावों को समेटे हुए सुन्दर शब्द .....
ReplyDeleteसुन्दर रचना ..
बड़ा प्यारा हमने तुमसे ये रिश्ता अजीब रखा है,
ReplyDeleteसभी दोस्तों से तुमको, हद से ज्यादा अज़ीज़ रखा है.......wah....dosti ko khoobsurat bana diya.
Lajawaab rachana!
ReplyDeleteवाह ………………शानदार गज़ल्।
ReplyDeleteकोई एक जिस पर अटूट विश्वास है , इससे बेहतर क्या लिखा जा सकता है !
ReplyDeletebahut behtareen.............
ReplyDelete........करीब रखा है ..
ReplyDeleteनाजुक खुबसूरत गजल को सम्मान जी /
वाह ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर !!
bhaut hi behtreen.....
ReplyDeletesundar abhivaykti....
ReplyDeleteसुन्दर!
ReplyDeleteन जाना मुझे छोड़ कर मझधार में ए दोस्त,
ReplyDeleteउड़ जाएगा वो परिंदा, जो मुट्ठी में भींच रखा है...
bahut hi sunder shabdon main likhi shaandaar rachanaa.bahut badhaai aapko.मुझे ये बताते हुए बड़ी ख़ुशी हो रही है , की आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (१६)के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /आपका
ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए / जरुर पधारें /