मैं ख्यालों की एक बूंद
सूरज की बाहों में कैद
आकाश तक जाती हूँ
बादलों के सीने में छुपकर
धरती की रगों तक बहती हूँ
कभी फूल, कभी वृक्ष में सौन्दर्य
कभी गेहूं - कभी धान में समाकर
गरीबों की थाली में सुकून बन
ईश्वर का मंत्र बन जाती हूँ ......... मैं ख्यालों की एक बूंद हूँ !

रश्मि प्रभा

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पहाड़ों की .. रानी

कुछ पीले ... कुछ गीले
कुछ हरे से हैं मेरे पहाड़
और इनकी पथरीली छतों पर सूखती हूँ मैं
हाँ कभी कभी एक टुकड़ा धूप बन जाती हूँ .. "मैं"

कभी इजा के बोलों में
कभी बाबा के श्लोकों में
कभी अम्मा की गाली में
तो कभी सरुली की ठिठोली में
ना जाने कितने सुरों में ढल जाती हूँ .. "मैं"

कभी खेतों में रोटी ले जाती हूँ मैं
तो कभी पुरानी उधरी ऊन से
मोजा बीनने लग जाती हूँ मैं
कभी पत्थरों से पटी छतों पर
बड़ी-पापड़ तोड़ने बैठ जाती हूँ मैं
ना जाने कितने रूपों में ढल जाती हूँ .. "मैं"

कभी आमा की कच्ची रसोई में
बड़ी निर्लजता से घुस आती हूँ मैं
तो कभी एक - वस्त्रा बन
बोदी का कर्त्तव्य निभाती हूँ मैं
कभी दही सने नीबुओं से
भाई बहनों को ललचाती हूँ मैं
तो कभी अन्नपूर्णा बन बिन बुलाये
मेहमानों की पंगत जिमाती हूँ मैं
ना जाने कितने रंगों में रंग जाती हूँ .. "मैं"

कभी ढोलक पर पड़ती चौड़े हाथों की थाप
तो कभी बेटी को विदा करती इजा का विलाप
हर रंग में .. हर रूप में .. हर सुर में .. हर ताल में
जब चाहूँ तब इन पहाड़ों की "रानी" बन जाती हूँ .. "मैं"
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गुंजन अग्रवाल

10 comments:

  1. कभी कभी एक टुकड़ा धूप बन जाती हूँ .. "मैं"
    बड़ी प्यारी बात!

    सुन्दर प्रस्तुति!

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  2. गुंजन जी के ब्लॉग पर ये रचना पहले ही पढ़ ली थी मगर आपके शब्दों के साथ यहाँ फिर से पढ़ कर अच्छा लगा !
    धन्यवाद !

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  3. Very beautiful poems...nice thought process...
    www.rajnishonline.blogspot.com

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  4. gunjanjee ki kavita aur aapke khyalon ki boond......donon hi bahot achchi lagi......

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  5. Bhartiya naari ki kitni sunder misaal! bahut sunder!!!

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  6. हर रंग में .. हर रूप में .. हर सुर में .. हर ताल में
    जब चाहूँ तब इन पहाड़ों की "रानी" बन जाती हूँ .. "मैं",,,,बहुत प्यारी रचना..

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  7. मैं ख्यालों की एक बूंद
    सूरज की बाहों में कैद
    आकाश तक जाती हूँ
    बादलों के सीने में छुपकर
    धरती की रगों तक बहती हूँ

    वाह ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  8. ना जाने कितने रंगों में रंग जाती हूँ .. "मैं"
    bahut khub surat rachna ...

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