नया आकाश

उस दिन
काँच के बिखरे हुए टुकड़ों में जब झाँका
तो पाया स्वयं का ही प्रतिबिंब
बिखरा-बिखरा था अस्तित्व

फिर उस दिन
खंडहर के टूटे हुए टुकड़ों को जोड़ कर
असली शक्ल ढूँढ़नी चाही
तो पाया अपना ही घरौंदा
नज़र आया जो था टूटा-टूटा सा

काँच के टुकड़े हँसते रहे
खंडहर के टुकड़े बोलते रहे

आज
मैं खुद को समेटने लगी हूँ
जोड़-जोड़ घरौंदा बनाने लगी हूँ
इतिहास को इतिहास ही रहने दो
मैंने नए आकाश तराशने के लिए
एक नयी औरत को
आमंत्रण दिया है
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हम दोनों मौन हैं

हम दोनों मौन हैं
बस इतना याद है
दो हथेलियों का साथ है
एक हथेली मेरी और
एक तुम्हारी है
हम दोनों मौन हैं
चाँद मेरी तरह पिघल रहा है
नींद में जैसे फिर चल रहा है
मेरी खुली आँखों में ख़्वाब हैं
तेरी खुली आँखों में अलाव है
मगर हम दोनों फिर भी मौन हैं
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बोंजाई

हर रोज़ यह चाँद
रात की चोकीदारी में
सितारों की फ़सल बोता है
पर चाँद को सिर्फ बोंजाई पसंद है
तभी तो वो सितारों को
कभी बड़ा ही नहीं होने देता है ।
-0-


डॉ अनिता कपूर

13 अप्रैल 1957 को जन्मी अनीता कपूर ने एम.ए. हिन्दी, अँग्रेजी एवं संगीत (सितार), पी.एचडी (अँग्रेजी) तथा पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है । बिखरे मोती, अछूते स्वर, ओस में भीगते सपने और कादंबरी (4 कविता-संग्रह) इनकी प्रकाशित कृतियाँ है । इन्हें प्रवासी हिन्दी सेवी सम्मान-2012,प्रवासी कवियत्री सम्मान-2012, कायाकल्प साहित्य कला फ़ाउंडेशन-12, पॉलीवूड स्टार मीडिया अवार्ड-2011, सामाजिक सेवा अमरीका अवार्ड-2009 आदि सम्मनों से नवाजा गया है । ये ब्रूस ड्राइव,फ्रेमोंट,कैलिफोर्निया (यू एस ए ) मे रहती हैं । अमेरिका मे हिन्दी की अलख जगाने वालों मे ये सबसे अग्रणी हैं। ईमेल : anitakapoor.us@gmail.com

5 comments:

  1. bonjaai ......khaas taur par behad pasand ayi waise to sabhi kavitaayen achchi hain ........shubhkaamnaayen ........

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  2. वाह तीनों ही रचनाएं बहुत सुन्दर र्हैं...

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  3. ANITA JI , ACHCHHEE KAVITAAYON KE
    LIYE AAPKO BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .

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  4. तीनो अच्छी हैं खास कर बोंजाई !

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