बातों में कुछ ऐसे बोल सुना जाते हैं
मीत अपने ही मनमें आग लगा जाते हैं
चिंगारी फूटे न कभी ये नामुमकिन है
दो पत्थर आपस में जब टकरा जाते हैं
मेरे घर में आये तब ये मैंने जाना
दुःख के बवंडर कैसे होश उड़ा जाते हैं
यूँ तो उनका साथ नहीं अच्छा लगता है
दुःख ही हैं जो कुछ तो राह दिखा जाते हैं
हाथ मिलाने से ही बात नहीं बनती है
यूँ तो अनजाने भी हाथ मिला जाते हैं
लाख भले ही रख ले उनसे दूरी प्यारे
छाने वाले लेकिन मन पर छा जाते हैं
` प्राण ` ज़रूरी है उनका मासूम सा होना
मैले - कुचैले चेहरे भी भरमा जाते हैं
प्राण शर्मा
प्राण शर्मा ब्रिटेन मे बसे भारतीय मूल के हिंदी लेखक है। कॉवेन्टरी के प्राण शर्मा ब्रिटेन में हिन्दी ग़ज़ल के उस्ताद शायर हैं। प्राणजी बहुत शिद्दत के साथ ब्रिटेन के ग़ज़ल लिखने वालों की ग़ज़लों को पढ़कर उन्हें दुरुस्त करने में सहायता करते हैं। हिन्दी ग़ज़ल पर उनका एक लंबा लेख चार-पांच किश्तों में ‘पुरवाई’ में प्रकाशित हो चुका है। कुछ लोगों का कहना है कि ब्रिटेन में पहली हिन्दी कहानी शायद प्राण शर्मा ने ही लिखी थी। भारत के साहित्य से पत्रिकाओं के जरिए रिश्ता बनाए रखने वाले प्राण शर्मा अपने मित्र एवं सहयोगी श्री रामकिशन के साथ कॉवेन्टरी में कवि सम्मेलन एवं मुशायरा भी आयोजित करते हैं। उन्हें कविता, कहानी और उपन्यास की गहरी समझ है।
चिंगारी फूटे न कभी ये नामुमकिन है
ReplyDeleteदो पत्थर आपस में जब टकरा जाते हैं ..
हर शेर गहरा जीवन दर्शन समेटे ... प्राण साहब की खासियत उनके शेरों से बयान होती है ... लाजवाब गज़ल ...
लाख भले ही रख ले उनसे दूरी प्यारे
ReplyDeleteछाने वाले लेकिन मन पर छा जाते हैं
` प्राण ` ज़रूरी है उनका मासूम सा होना
मैले - कुचैले चेहरे भी भरमा जाते हैं
सुन्दर अभिव्यक्ति वास्तविकता से ओत प्रोत प्राण जी
प्राण साहब की ग़ज़लें आम जिंदगी के तजुर्बों से भरी होती हैं ...
ReplyDeleteये शेर खास पसंद आया ...
चिंगारी फूटे न कभी ये नामुमकिन है
दो पत्थर आपस में जब टकरा जाते हैं ..
मेरी पहली टिप्पणी नज़र नहीं आ रही ...
ReplyDeleteबहुत सार्थक सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteहाथ मिलाने से ही बात नहीं बनती है
ReplyDeleteयूँ तो अनजाने भी हाथ मिला जाते हैं
...बहुत खूब! बेहतरीन गज़ल..हरेक शेर दिल को छू जाता है..
मेरे घर में आये तब ये मैंने जाना
ReplyDeleteदुःख के बवंडर कैसे होश उड़ा जाते हैं
वाह वाह प्राण जी कितनी गहरी बातें कह जाते हैं आप और कितनी सरलता से ……………नमन है।
लाख भले ही रख ले उनसे दूरी प्यारे
ReplyDeleteछाने वाले लेकिन मन पर छा जाते हैं
` प्राण ` ज़रूरी है उनका मासूम सा होना
मैले - कुचैले चेहरे भी भरमा जाते हैं
सुन्दर अभिव्यक्ति वास्तविकता से ओत प्रोत प्राण जी
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार १४/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आपका स्वागत है|
ReplyDeleteलाख भले ही रख ले उनसे दूरी प्यारे
ReplyDeleteछाने वाले लेकिन मन पर छा जाते हैं
लाजवाब ग़ज़ल...दिल को छूते एक से बढ़ कर एक अनूठे शेर पिरोये हैं प्राण साहब ने अपनी इस ग़ज़ल में...किस शेर का जिक्र करूँ...अमिट छाप छोड़ते इन अशआर की तारीफ़ में जो कहूँ कम होगा....प्राण साहब को यहाँ पढवाने का बहुत बहुत शुक्रिया ...
नीरज
मेरे घर में आये तब ये मैंने जाना
ReplyDeleteदुःख के बवंडर कैसे होश उड़ा जाते हैं अनुभवी पंग्तियाँ
उत्कृष्ट
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लाख भले ही रख ले उनसे दूरी प्यारे
ReplyDeleteछाने वाले लेकिन मन पर छा जाते हैं
सुंदर प्रस्तुति !
kyaa baat hai. hamesha kee tarah praan ji jaan daal dee hai har she'r men.
ReplyDeleteहोश उड़ाने वाले सब मन को भाने लगे हैं
ReplyDeleteहम आजादी को मन से मनाने में लगे हैं
नव विचारों के लिए प्रेरणा जगाती ग़ज़ल है। बरसात न हो तो इस ग़ज़ल के जल से काम चल सकता है, यह मेरा मानना है।
- अविनाश वाचस्पति
सभी शेर बहुत अर्थपूर्ण. अपने अनुभव से ही जिन्दगी समझ आती है...
ReplyDeleteमेरे घर में आये तब ये मैंने जाना
दुःख के बवंडर कैसे होश उड़ा जाते हैं
बहुत बढ़िया गज़ल, बधाई स्वीकारें.
Bhai Sharmaji
ReplyDeletebahut khoobsoorat ghazal kahi hai aapne bahut dinon ke bad aapki yah ghazal padhane ko mili hai.
chingaari foote na kabhi ye namumkin hai do patthar apas men jab takara jaate hain
bahut sunder sher meri badhai sweekaren.
ghazal men do shabdon ka prayog kuchh adchan paida kar raha hai kripaya dekhen. ek 'babander'aur
doosra 'maile-kuchele'