मै किससे प्यार करू हे ईश्वर
नफरत किसको दूँ ?
सब प्यार मे घोले विष बैठे
मै विष मे नेह घोलूं !!
पलकों पे जिसको भी रक्खो ,
वो चेहरे पे कालिख पोते !
वो हवस के बाग़ बगीचे थें ,
हम उसमे आखिर क्या बोते ?
हम उस दुनिया को कोस रहें
जो हमसे -तुमसे बनती है!
हम स्वांग रचे खुश रहने का ,
भीतर कडुवाहट पलती है !
संकोच नहीं अब रत्ती भर ,
खुद को नीचे ले जाने में !
जज़्बात बिके ,विश्वास बिके ,
हम खडे है खुद बिक जाने में !
परिवार के माने बिगड़ गए,
इज्जत की परिभाषा बदली !
सुख के सब साधन बदल गए
अब गर्ब की भी भाषा बदली !
मै गर्ब करूँ तो भी किस पर ?
किससे ये दिल खोलूं ?
हे ईश्वर नेह भरो इतना
बस विष मे नेह घोलूं !!
तनु थदानी
http://tthadani.blogspot.in/
सब प्यार मे घोले विष बैठे
मै विष मे नेह घोलूं !!
पलकों पे जिसको भी रक्खो ,
वो चेहरे पे कालिख पोते !
वो हवस के बाग़ बगीचे थें ,
हम उसमे आखिर क्या बोते ?
हम उस दुनिया को कोस रहें
जो हमसे -तुमसे बनती है!
हम स्वांग रचे खुश रहने का ,
भीतर कडुवाहट पलती है !
संकोच नहीं अब रत्ती भर ,
खुद को नीचे ले जाने में !
जज़्बात बिके ,विश्वास बिके ,
हम खडे है खुद बिक जाने में !
परिवार के माने बिगड़ गए,
इज्जत की परिभाषा बदली !
सुख के सब साधन बदल गए
अब गर्ब की भी भाषा बदली !
मै गर्ब करूँ तो भी किस पर ?
किससे ये दिल खोलूं ?
हे ईश्वर नेह भरो इतना
बस विष मे नेह घोलूं !!
तनु थदानी
http://tthadani.blogspot.in/
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति .. आभार
ReplyDeleteकल 01/08/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' तुझको चलना होगा ''
सही कहा आपने
ReplyDeleteस्नेह और प्रेम
यह इर्ष्या, द्वेष जैसे विष के लिए भी विष है .
बहुत ही गम्भीर रचना है, प्रभावित करती हुयी..
ReplyDeleteसब प्यार मे घोले विष बैठे
ReplyDeleteमै विष मे नेह घोलूं !!...
बहुत अच्छी सोच
मै गर्ब करूँ तो भी किस पर ?
ReplyDeleteकिससे ये दिल खोलूं ?
हे ईश्वर नेह भरो इतना
बस विष मे नेह घोलूं !!
बस यही प्रार्थना शेष थी .
सार्थक रचना !
हे ईश्वर नेह भरो इतना
ReplyDeleteबस विष मे नेह घोलूं !!
बहुत सुंदर भाव !
सुन्दर भावपूर्ण
ReplyDeleteपरिवार के माने बिगड़ गए,
ReplyDeleteइज्जत की परिभाषा बदली !
वर्तमान जीवन का चित्रण
सुन्दर भाव
आप सबों का दिल से धन्यवाद ........
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