झूम झूम झर झर कर सावनी फुहार
बरखा की बूँद बूँद बादली बहार
तन मन हिल्लोर मार गाये मल्हार
विरही मन नीर बहे पंचमी पुकार
झूम झूम झर झर कर सावनी फुहार ...........................
मस्त पवन प्रेम अगन चंचल कर जाये
भोर साँझ काम बाण प्रीतम बन भाये
घन घन घन घोर घटा चन्दन वन आग
व्याकुलता बढ़त जात गाये सब राग
प्रथम वृष्टि अगन बढे बरसो सौ बार
झूम झूम झर झर कर सावनी फुहार ...........................
प्रियतम की एक नज़र मुझ पढ़ जाये
सावन की बूँद बूँद शीतलता लाये
रिमझिम जब सावन की मंद पवन बहे
प्रेम गीत प्रेम छंद प्रेम राग कहे
'दीपक' के नयन ढहे एक अश्रु धार
झूम झूम झर झर कर सावनी फुहार
दीपक द्विवेदी
http://www.jagranjunction.com/author/deepakdwivedi/
अति सुन्दर
ReplyDeleteअनु
बहुत सुन्दर ..भीग गए..
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteयह है शुक्रवार की खबर ।
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति चर्चा मंच पर ।।
भोर साँझ काम बाण प्रीतम बन भाये ........... @ 'प्रीतम मन भाये.'
ReplyDeleteप्रियतम की एक नज़र मुझ पढ़ जाये ......... @ 'मुझ पर पड़ जाये.'
@@ गीत की गेयता ने आनंदित कर दिया. मनोभूमि पर उगे भाव भी समयोचित होने से अच्छे लग रहे हैं.
काव्यमयी... बेहद सुंदर !!
ReplyDeletevery nice.....
ReplyDeleteचर्चा मंच पर है यह टिप्पणी -
ReplyDeleteसचमुच ही वटवृक्ष यह, श्रेष्ठ वांटेड मोस्ट |
प्राण-वायु से पोसता, ब्लॉग वर्ल्ड की पोस्ट ||
दीपक' के नयन ढहे एक अश्रु धार
ReplyDeleteझूम झूम झर झर कर सावनी फुहार
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बहुत बढ़िया सावनी फुहार ..
चलो कहीं तो सावन दिखाई दिया ..
बहुत प्यारी रिमझिम बरसती काव्यमई कविता बहुत सुन्दर
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