आँखों में सपने लिए
दिल के अरमानों से
कुछ लफ़्ज़ों को
कागज पर उतार दिया
पर
सम्पादक महोदय ने इन्कार कर
मुझको फटकार दिया
इसलिए
मैं चुपचाप बैठी थी अलसाई- सी
और दिल में दुनिया से रूसवाई थी
न कहीं ये दिल लगता था
बस यूहीं ये भटकता था
किन्तु
जब साथ दिया मेरी माँ ने
तब
मन उड़ने लगा हवा में
फिर
अन्धकार से हुआ सवेरा
धीरे-धीरे
जीवन सँवरने लगा मेरा
उम्मीदों से भरकर
मैं फिर लिखने लगी
आखिर
वो शुभ घड़ी आई
और
मेरी मेहनत रँग लाई
एक नहीं अनेक सम्पादकों ने
मेरी कविताएँ छपवाई
पूरी हुई मेरी कामना
अब दुनिया मेरी हो गई रोशनाई
डॉ.प्रीत अरोड़ा
शिक्षा-एम.ए हिन्दी पँजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ से (यूनिवर्सिटी टापर),पी.एचडी(हिन्दी)पँजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ से,बी.एड़ पँजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से .
कार्यक्षेत्र—शिक्षिका
अध्ययन एवं स्वतंत्र लेखन व अनुवाद । अनेक प्रतियोगिताओं में सफलता, आकाशवाणी व दूरदर्शन के कार्यक्रमों तथा साहित्य उत्सवों में भागीदारी, हिंदी से पंजाबी तथा पंजाबी से हिंदी अनुवाद। देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं व समाचार-पत्रों में नियमित लेखन । वेब पर मुखरित तस्वीरें नाम से चिट्ठे का सम्पादन.
अनेक किताबों में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान-अमर उजाला की ओर से सम्मानित
पुरस्कार-‘वुमेन आन टाप ’पत्रिका के ओर से कहानी पुरस्कृत (मई-2012 )
युवा लेखिका के लिए राजीव गाँधी एक्सीलेंस अवार्ड (2012) से सम्मानित
“अनुभूति” नामक काव्य-संग्रह का सम्पादन (प्रकाशाधीन )
मनमीत पत्रिका का अतिथि सम्पादन ।
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteहर रचनाकार को यूँ ही सहारा सहयोग और सामान मिले....
अनु
जब साथ दिया मेरी माँ ने
ReplyDeleteतब
मन उड़ने लगा हवा में
फिर
अन्धकार से हुआ सवेरा
धीरे-धीरे
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...
मेहनत सफलता को प्रतीक्षा कराती है..अपनी संतुष्टि होने तक..
ReplyDeleteआँखों में सपने लिए
ReplyDeleteदिल के अरमानों से
कुछ लफ़्ज़ों को
कागज पर उतार दिया
अच्छी प्रस्तुति
duniya ho gayee roshnai:))
ReplyDeletebahut sundar!!
आभार मित्रों, आप जैसे मित्रों का भी साथ मिला है तभी आज मैं युवा लेखिका बन गई हूँ.आप सभी को कोटि-कोटि नमन
ReplyDeleteआभार मित्रों, आप जैसे मित्रों का भी साथ मिला है तभी आज मैं युवा लेखिका बन गई हूँ.आप सभी को कोटि-कोटि नमन
ReplyDeleteआत्मविश्वास ही आगे बढाता है और माँ का आशीर्वाद हो सफलता कदम चूमती ही है ...
ReplyDeleteआखिर
ReplyDeleteवो शुभ घड़ी आई
और
मेरी मेहनत रँग लाई
एक नहीं अनेक सम्पादकों ने
मेरी कविताएँ छपवाई
पूरी हुई मेरी कामना
अब दुनिया मेरी हो गई रोशनाई,,,,,
माँ की दुआ जैसी कोई दुआ नही
माँ जैसा पवित्र रिश्ता कोई दूसरा नही,,,,,,
RECENT POST,,,इन्तजार,,,
maa jab saath ho her muskil aasan ho jati hai........
ReplyDeleteसुंदर अतिसुन्दर सारगर्भित रचना , बधाई
ReplyDelete:) I feel positive and ready to fight back and write some good lines... Thanks for writing.
ReplyDeleteबधाई अतिसुन्दर बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ..
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति |उत्तम रचना |
ReplyDeleteआशा
...ये मांए ऐसी ही होती है!...मुझे भी जहाँ जहाँ और जब जब निराशा ने घेरा...मेरी मां ने उस घेरे में से हंमेशा बाहर निकाला!...आज मेरी मां नहीं रही...लेकिन जब कोई ऐसी कमजोर घड़ी आती है और रास्ते में रुकावटें महसूस होती है... मैं मां को याद करती हूँ...और मुझे आगे बढ़ने का रास्ता मिल जाता है!
ReplyDelete...आपकी रचना बहुत ही प्रेरणादायी है!...आभार!
MEHNAT AUR LAGAN USPAR MAA KA SANIDHYA MILNA , AAPKA JEEWAN ME AAGE BARNE KA SWAPAN SAB NE MILKAR IS RACHNA KO AUR BHI KHOOBSURAT BNA DIYA,SUNDER BHAW LIYE UTTAM SANDESH DETI EK ATII UTTAM RACHNA.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....अच्छी प्रस्तुति ..
ReplyDeleteआँखों में सपने लिए
ReplyDeleteदिल के अरमानों से
कुछ लफ़्ज़ों को
कागज पर उतार दिया
पर
कुछ न कहिए। दुआएं हैं की आप आगे और आगे नारी जाति का प्रतिनिधित्व करती हुई कलम के माध्यम से यह परचम फहराती रहें