प्यारी - सी कोई
सुखद अनुभूति
कल तक अनजानी -सी
आज पहचानी -सी
उषा की कोई किरण
आशा की लहर बनकर
बस जाती है दिल में
अपने के एहसास के साथ
लगता है जैसे हम उसे
सिद्दत से जांनते हैं
टिक जाती है साँसों में
गर्माह्ट के साथ
छोडती मादकता की
भीनी - भीनी खुशबू
लहराने लगती है
तरंगो -सी
बहने लगती है
पोर-पोर में
चाहत की सरिता
बनकर
प्यार के इस एहसास में
बडी प्यारी लगने लगती है दुनिया
छोटा हो जाता है आसमां
बौना नजर आता है पहाड
लिखी और फाडी
जाने लगती हैं चिट्टियाँ
प्यारे लगने लगते हैं
फल -फूल
गदराने लगता है यौवन
बदलने लगती है देह-बोली
होने लगता है व्यक्त
जो था अव्यक्त
शायराना अंदाज
आँखों में सपने
आईने से लगाव
एस.एम.एस., मेल,
फेसबुक का सिलसिला
और बहुत कुछ
फिर
उस अनजाने सुख को
पाने के लिए
मचलने लगता है दिल
रहने लगता है इंतजार
उस खुबसूरत
अजनबी पल का
दिलों के हिलोर का
उस सुनहरे कल का
तन -मन का
जिस पर
नहीं होता बस
किसी का
हमारा- आपका
रमेश यादव
रमेश यादव का जन्म 09अक्टूबर,1962 को मुंबई में हुआ . एम.ए. ( हिन्दी साहित्य, मुंबई विश्वविद्यालय ) पत्रकारिता, बैंकिंग एवं अनुवाद में डिप्लोमा तक की शिक्षा . बतौर स्वतंत्र पत्रकार 1990 से कई राष्ट्रीय एवं स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं मे लेखन . मुंबई ( विश्व प्रहरी ) टाइम्स में एक वर्ष तक स्तंभ लेखन ( घूमते -फिरते ) .
आकाशवाणी - मुंबई के संवादिता चैनेल के लिए कई कार्यक्रमों का लेखन एवं प्रस्तुति.
कहानियां,कवितायें, लेख राष्ट्रीय एवं स्थानीय पत्रिकाओं मे प्रकाशित . प्रकाशित पुस्तकें - वैकल्य - ( मराठी उपन्यास का हिंदी अनुवाद ) प्रकाशक - उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान - लखनऊ
महक फूल - सा मुस्काता चल (बाल कविता संग्रह)
कविता की पाठशाला (संपादन- बालकविता संग्रह)
क - कवितेचा (संपादन- बालकविता संग्रह - मराठी)
ई मेल संपर्क -rameshyadav0910@yahoo.com
इसी का नाम इंतज़ार है |
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर...
प्यार के कोमल एहसास को बहुत खूबसूरती से उकेरा है...
सांझा करने का शुक्रिया रविन्द्र जी.
सादर
अनु
रमेश जी का कोई ब्लॉग है क्या??
ReplyDeleteलिंक मिल जाए तो और भी रचनाएँ पढ़ सकते हैं.
सादर
अनु
...कितना सुखद होता है प्यार का अहसास!...बहुत सुन्दर अनुभूति!...सुन्दर कृति!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना जी ...और उतना ही सुंदर चित्र भी ....
ReplyDeleteबहुत बधाई इस प्रस्तुति के लिये ....!!
बहुत सुन्दर कविता. प्यार के कोमल एहसास कविता से झलकता है. आभार रमेश जी की कविता पढवाने के लिये.
ReplyDeleteप्यार के इस एहसास में
ReplyDeleteबडी प्यारी लगने लगती है दुनिया
छोटा हो जाता है आसमां
बौना नजर आता है पहाड
सुंदर अहसास, सुंदर कविता .....
bahot sunder.....
ReplyDeleteप्यार के कोमल और खुबसूरत अहसाह
ReplyDeleteको रचना में बखूबी ढाला है सर जी..
ह्रदय स्पर्श करती रचना
बहुत खूब:-)
wah khubsoorat ehsas say bahri rachna
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