हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक मृदुला गर्ग जी का आज जन्म दिन है । वे आज ही के दिन 1938 मे कोलकाता में जन्मी थी। 

Mridula garg.jpgउनके उपन्यासों को अपने कथानक की विविधता और नयेपन के कारण समालोचकों की बड़ी स्वीकृति और सराहना मिली। उनके उपन्यास और कहानियों का अनेक हिंदी भाषाओं तथाजर्मन, चेक, जापानी और अँग्रेजी में अनुवाद हुआ है। वे स्तंभकार रही हैं, पर्यावरण के प्रति सजगता प्रकट करती रही हैं तथा महिलाओं तथा बच्चों के हित में समाज सेवा के काम करती रही हैं। 

उनका उपन्यास 'चितकोबरा' नारी-पुरुष के संबंधों में शरीर को मन के समांतर खड़ा करने और इस पर एक नारीवाद या पुरुष-प्रधानता विरोधी दृष्टिकोण रखने के लिए काफी चर्चित और विवादास्पद रहा था। उन्होंने इंडिया टुडे के हिन्दी संस्करण में लगभग तीन साल तक कटाक्ष नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा। 

वे संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में १९९० में आयोजित एक सम्मेलन में हिंदी साहित्य में महिलाओं के प्रति भेदभाव विषय पर व्याख्यान भी दे चुकी हैं। उन्हें हिंदी अकादमी द्वारा १९८८ में साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, २००३ में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में आजीवन साहित्य सेवा सम्मान, २००४ में कठगुलाब के लिए व्यास सम्मान तथा २००३ में कठगुलाब के लिए ही ज्ञानपीठ का वाग्देवी पुरस्कार प्रदान किया गया है। 

उसके हिस्से की धूप उपन्यास को १९७५ में तथा जादू का कालीन को १९९३ में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है। उनके छह उपन्यास- उसके हिस्से की धूप, वंशज, चित्तकोबरा, अनित्या, मैं और मैं तथा कठगुलाब, ग्यारह कहानी संग्रह- कितनी कैदें, टुकड़ा टुकड़ा आदमी, डैफ़ोडिल जल रहे हैं, ग्लेशियर से, उर्फ सैम, शहर के नाम, चर्चित कहानियाँ, समागम, मेरे देश की मिट्टी अहा, संगति विसंगति, जूते का जोड़ गोभी का तोड़, चार नाटक- एक और अजनबी, जादू का कालीन, तीन कैदें और सामदाम दंड भेद, दो निबंध संग्रह- निबंध संग्रह- रंग ढंग तथा चुकते नहीं सवाल, एक यात्रा संस्मरण- कुछ अटके कुछ भटके तथा एक व्यंग्य संग्रह- कर लेंगे सब हज़म प्रकाशित हुए हैं।

परिकल्पना परिवार की ओर से उन्हें : 


16 comments:

  1. अनंत शुभकामनायें |

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  2. महान लेखिका मृदुला गर्ग जी को..जन्म दिन की हार्दिक शुभ-कामनाएं!

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  3. आदरणीय मृदुला गर्ग जी को जन्म दिन की हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएँ ....

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  4. जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयाँ....शुभकामनाएं !!

    सादर
    अनु

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  5. आदरणीय मृदुला जी जन्मदिन की ढ़ेरों शुभकामनाएँ.मुझे वो दिन याद है जब मैंने आपके साहित्य पर शोध-कार्य शुरू किया था.आज मेरी पहचान आपकी शुभकामनाओं और लेखनी से ही है .ईश्वर आपको बहुत खुशियाँ दें ताकि आपका प्यार हम सभी पर यूँही बना रहे.

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  6. bahut bahut badhai ...janamdin ki meri taraf se bhi ....

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  7. मृदुला गर्ग जी को..जन्म दिन की हार्दिक शुभ-कामनाएं!

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  8. जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई...
    :-)

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  9. मृदुला गर्ग जी के जन्मदिन के अवसर पर बहुत बढ़िया प्रस्तुति हेतु आभार
    मृदुला जी को जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ !!

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  10. महान लेखिका और हम सबके आदरणीय परमश्रध्देया मृदुलाजी, जन्म दिन की बहुत - बहुत शुभकामनाएं

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  11. जन्मदिन पर ढेरों शुभकामनाऎं !

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  12. उनका उपन्यास 'चितकोबरा' नारी-पुरुष के संबंधों में शरीर को मन के समांतर खड़ा करने और इस पर एक नारीवाद या पुरुष-प्रधानता विरोधी दृष्टिकोण रखने के लिए काफी चर्चित और विवादास्पद रहा था। उन्होंने

    इंडिया टुडे के हिन्दी संस्करण में लगभग तीन साल तक कटाक्ष नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा।

    बहुत बहुत बधाई इस नाम चीन साहित्यिक हस्ती के जन्म दिन पर .हमारा सौभाग्य :चित्त कोबरा हमने भी पढ़ा था उस दौर में .विवादास्पद अंश तो याद भी है .चूचुक शब्द पहली मर्तबा यहीं पढ़ा था

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