माना सन्नाटा गहरा और लम्बा रहा 
पर चुप की जुबान पर 
शहद से शब्द थे, हैं  ...
गलती तुम्हारी है सौ प्रतिशत 
तुम दरवाज़े तक आये नहीं 
तो शब्द .......
इंतज़ार बन गए !
तुमने सोचा ही नहीं 
जिम्मेदारियों की परेशानियां 
सबके घर आती हैं 
मेरे घर भी आयीं 
लम्बी छुट्टियां ले 
डेरा बसा लिया 
और तुमने सोचा हम गुम हो गए !!!
धत्त-
एहसास कहाँ गुम होते हैं 
वे तो जिम्मेदारियों के संग 
वक़्त की तलाश करते हैं 
.........
तो हमने तलाशा है वक़्त 
कहना जो है बहुत कुछ ...
देना है विश्वास -
जब तक है जान हम आयेंगे 
लम्हा लम्हा आपकी खिदमत में रख जायेंगे 
...... 

22 comments:

  1. गहरे अर्थों वाली उद्वेलित करती रचना.रश्मि जी बधाई.

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  2. हर लम्हे सहेजे आपने जो मोती
    उन्हें हम तो हक से ले जाएँगे
    सादर

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  3. बहुत सुन्दर गहन भाव पूर्ण प्रस्तुति बहुत बढ़िया बधाई आपको

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  4. सन्नाटे कि अपनी अलग ही जुबां होती है... बस समझने की ज़रूरत है... रश्मि जी , बहुत भा पूर्ण काविता!

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  5. माना सन्नाटा गहरा और लम्बा रहा
    पर चुप की जुबान पर
    शहद से शब्द थे, हैं ....
    रहेगें भी ....
    मेरी निगाहों को भी इंतजार था ..... !!

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  6. गहन उदासी को मात देती एक सकारात्मक सोच ...बहुत ही उम्दा

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  7. bahut gehre bhav ki sunder rachna

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  8. आज बहुत दिन बाद किसी ब्लॉग-पोस्ट को पढ़ रहा हूँ , और वापसी इस सुन्दर कविता के साथ बहुत सुखद रही |
    धन्यवाद

    सादर

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  9. एहसास कहाँ गुम होते हैं
    sahee kahaa,....sundar rachna

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  10. एहसास कहाँ गुम होते हैं
    वे तो जिम्मेदारियों के संग
    वक़्त की तलाश करते हैं
    .........

    बहुत सुंदर

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  11. जिम्मेदारियों की परेशानियों के बीच भी याद रखे गए एहसास वक़्त तलाश लेते हैं .
    बहुत बढ़िया !

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  12. बढ़िया -

    आभार आदरेया ।।

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  13. गहन अभिव्यक्ति सुन्दर , खूबसूरत प्रस्तुति

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  14. चिंगारी जब तक रहेगी राख के भीतर ..अंधेरों से लड़ने की ख़्वाहिश बनी रहेगी। यह जिजीविषा है हमारी जो हमें हर हाल में उम्मीदों का दिया जला के रखती है।
    बहुत ही अच्छी रचना के लिये साधुवाद!

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  15. गहरे अर्थ बताती रचना..

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  16. लम्बी छुट्टियां ले
    डेरा बसा लिया
    और तुमने सोचा हम गुम हो गए !!!
    धत्त-
    एहसास कहाँ गुम होते हैं
    वे तो जिम्मेदारियों के संग
    वक़्त की तलाश करते हैं

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  17. देना है विश्वास -
    जब तक है जान हम आयेंगे
    लम्हा लम्हा आपकी खिदमत में रख जायेंगे
    हर शब्‍द एक विश्‍वास को जीता हुआ ....
    सादर

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  18. सन्नाटा कभी कभी बोलता भी है...

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  19. एहसास कभी गुम नहीं होते... बहुत भावपूर्ण... बधाई.

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