परिकल्पना उत्सव दो कदम की दूरी पर अपनी आन बान शान के संग रंगमंच पर उतरने की शुभ तैयारी कर रहा अपने सतरंगी भावों के साथ आप...
करैक्टर लेस..
खुद में सिमटना ख्यालों में खुश रहना गहराते अँधेरे सायों से दोस्ती करना .... यह भी रास नहीं आता उन्हें जो चरित्र पर मुहर लगान...
माना सन्नाटा गहरा और लम्बा रहा
माना सन्नाटा गहरा और लम्बा रहा पर चुप की जुबान पर शहद से शब्द थे, हैं ... गलती तुम्हारी है सौ प्रतिशत तुम दरवाज़े तक आये नह...
तुम कब आओगे !
देख अब साख ने अपने पत्ते छोड़ दिए है तेरी याद में तुम कब आओगे, ये पतझड़ पूछे है बहार से .............. कोई आस नहीं लगती है ...
हर आँगन में दीप
चकाचौंध गर ना हुआ, किसको है परवाह। दीया इक घर घर जले, यही सुमन की चाह।। रात अमावस की भले, सुमन तिमिर हो दूर। दीप जले इक देहरी, अन्धेरा मजबू...
कविता की कविता : बिन डोर के....
कुछ लोग उतर जाते हैं दिल में बिन आहट ,बिन दस्तक के जैसे हो प्रारब्ध का कोई रिश्ता खींचे चले आते हैं बिन डोर के । सुषुप्त थीं अहसासों ...
मेरा आमन्त्रण है तुम्हे
हे ईश्वर ! तुम्हारे द्वारा दिया गया आँखों का पानी , कभी नहीं बहाया मैंने आंसू बना कर , सुरक्षित रखा इक शर्म के लिए मात्र ! हे ईश्वर ! ...
बीनू भटनागर की लघुकथा : आइने
मोहब्बत का प्रतीक करवाचौथ ......
मो हब्बत का प्रतीक करवाचौथ ......जिस जमीं पर मोहब्बत साँस लेती है उसकी सलामती की दुआ ख़ुद ब ख़ुद दिल कर उठता है ....पर जहां ज़मीं रुखी और...
वापस कर दो...
अगर बमुश्किल था बगैर पशुओं के बगैर झंडों के मिट्टी-गारे में जिंदा रहना तब वसंत का प्रवेश नदी में पत्थर की तरह आदमी के रुप में जीवन के इतने...