रश्मि प्रभा
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मौन स्वयं एक जवाब
चपल रसना के लिए
कत्तई मुश्किल नहीं है
धृष्ट से धृष्टतम
सवालों का जवाब
देना इस तरह कि
निर्लज्जता भी
लज्जा से
पानी- पानी हो जाए ...
मगर
मर्यादा
और विश्वास
चुन लेते हैं
कई बार
मौन
और बन जाते हैं
स्वयं एक जवाब
उनके लिए
जो जानते हैं
किसी को
हराने के जूनून से
हर हाल में
बेहतर है
जीतने की सनक ....
कत्तई मुश्किल नहीं है
धृष्ट से धृष्टतम
सवालों का जवाब
देना इस तरह कि
निर्लज्जता भी
लज्जा से
पानी- पानी हो जाए ...
मगर
मर्यादा
और विश्वास
चुन लेते हैं
कई बार
मौन
और बन जाते हैं
स्वयं एक जवाब
उनके लिए
जो जानते हैं
किसी को
हराने के जूनून से
हर हाल में
बेहतर है
जीतने की सनक ....
वाणी शर्मा
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति... आभार
ReplyDeleteइस अद्भुत रचना हेतु वाणी जी को बहुत-बहुत बधाई। ज़िंदगी की सच्चाई को इतनी कुशलता से शब्दों में पिरो कर उन्होने काव्य का रूप दिया है सचमुच बहुत सुंदर।
ReplyDeleteलिंक भेजने हेतु आदरणीय रश्मि जी का आभार।
सादर
एक संवेदनशील विषय...
ReplyDeleteसटीक प्रस्तुति....
मगर कभी कभी हारने के जूनून और जीतने की सनक से भी अधिक ज़रूरी है
.... मौन रहकर दृढ़ता से सच के साथ खड़े रहना....! :)
sashkt rachna..
ReplyDeleteकई बार
ReplyDeleteमौन
और बन जाते हैं
स्वयं एक जवाब
और जब मौन स्वयं जवाब बन जाए तो और किसी जवाब की आवश्यकता ही नहीं रहती
sunder prastuti......
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,
ReplyDeleteMY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
कविता को यहाँ स्थान देने और पढने के लिए आप सबका बहुत आभार !
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteमौन की एक अपनी अलग भाषा है ......जो बिना व्यक्त किये भी व्यक्त है ...अच्छी रचना है !
ReplyDelete"मगर
ReplyDeleteमर्यादा
और विश्वास
चुन लेते हैं
कई बार
मौन
और बन जाते हैं
स्वयं एक जवाब"
बहुत सुंदर !
यथार्थ को कहती खूबसूरत रचना
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
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