मौन पहलू को खुद भी सोचता है , और ना जवाब देने पर आस पास के लोग और गलत व्यक्ति सब सोचते हैं .... सॉरी बोल देना गलती मान लेना नहीं , उससे अपने आप में कुलबुलाना भी एक सज़ा है . अमर्यादित रास्ते पर एक बार उतर जाने से लौटने के रास्ते तंग हो जाते हैं , पर खुद में उदास होकर भी बैठ जाना एक समय के बाद सुकून देता है कि अच्छा हुआ मैंने कुछ नहीं कहा ...

रश्मि प्रभा


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मौन स्वयं एक जवाब


चपल रसना के लिए
कत्तई मुश्किल नहीं है
धृष्ट से धृष्टतम
सवालों का जवाब
देना इस तरह कि
निर्लज्जता भी
लज्जा से
पानी- पानी हो जाए ...

मगर
मर्यादा
और विश्वास
चुन लेते हैं
कई बार
मौन
और बन जाते हैं
स्वयं एक जवाब

उनके लिए
जो जानते हैं
किसी को
हराने के जूनून से
हर हाल में
बेहतर है
जीतने की सनक ....




वाणी शर्मा

13 comments:

  1. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति... आभार

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  2. इस अद्भुत रचना हेतु वाणी जी को बहुत-बहुत बधाई। ज़िंदगी की सच्चाई को इतनी कुशलता से शब्दों में पिरो कर उन्होने काव्य का रूप दिया है सचमुच बहुत सुंदर।
    लिंक भेजने हेतु आदरणीय रश्मि जी का आभार।
    सादर

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  3. एक संवेदनशील विषय...
    सटीक प्रस्तुति....
    मगर कभी कभी हारने के जूनून और जीतने की सनक से भी अधिक ज़रूरी है
    .... मौन रहकर दृढ़ता से सच के साथ खड़े रहना....! :)

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  4. कई बार
    मौन
    और बन जाते हैं
    स्वयं एक जवाब

    और जब मौन स्वयं जवाब बन जाए तो और किसी जवाब की आवश्यकता ही नहीं रहती

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  5. कविता को यहाँ स्थान देने और पढने के लिए आप सबका बहुत आभार !

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  6. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!

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  7. मौन की एक अपनी अलग भाषा है ......जो बिना व्यक्त किये भी व्यक्त है ...अच्छी रचना है !

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  8. "मगर
    मर्यादा
    और विश्वास
    चुन लेते हैं
    कई बार
    मौन
    और बन जाते हैं
    स्वयं एक जवाब"
    बहुत सुंदर !

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  9. यथार्थ को कहती खूबसूरत रचना

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  10. सुन्दर प्रस्तुति

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