प्रेम को समझना आसान नहीं
इसमें लहरें आती हैं जाती हैं -
हर आवेग किनारों को छूना चाहती हैं
ये किनारों का मोह !
यदि किनारा जान ले
टुकड़ों में लहरों संग घुलता जाए
तो - न नदी अकेली होती है न सागर !
रश्मि प्रभा
============================================================
ठहरा हुआ सा कुछ
तरसती हूँ मैं
तुम्हारी आवाज के एक टुकड़े के लिए
जिसे तकिये तले रख
मुझे रात को नींद आ जाये
तड़पती हूँ मैं
अपनी खाली मुट्ठी में
तुम्हारे शर्ट पकड़ने को
थोड़ी देर ही सही
सिसकती हूँ मैं
तुम्हारे कंधे के लिए
कितने दिन कितनी रात
मुझे याद नहीं
अब जैसे आदत सी है
तुमसे नहीं मिलने की
तुम्हारा इंतज़ार करने की
जानते हुये कि आ नहीं पाओगे
टुकड़े टुकड़े सब
तुम्हें माँग ले जाते हैं मुझसे
तुम्हारी माँ
तुम्हारे ऑफिस के लोग
और हालात...
मैं रह जाती हूँ
दिन बीते
अपनी सूनी हथेली को देखती हुयी
मेहंदी की धुली हुयी लकीरों में
कहीं अपने सपने तलाशती हुयी
बस कुछ शैतान आंसू
आँखों में चले आते हैं
बदमाश बच्चों की तरह
मैं यादों के आँचल से
आँखें पोंछ लेती हूँ
और गांठ लगा देती हूँ ताकि भूल ना जाऊँ
यादों की गीली चुनरी ओढ़े
हर रात सो जाती हूँ
ये सोचते हुये
कि शायद कल तुम आओगे...
पूजा उपाध्याय
http://laharein.blogspot.com/
aapki baat......aur ye kavita dono hi bhawpoorn hain.
ReplyDeleteटुकड़े टुकड़े सब
ReplyDeleteतुम्हें माँग ले जाते हैं मुझसे
तुम्हारी माँ
तुम्हारे ऑफिस के लोग
और हालात..
hridaysparshi rachna.
ज़िन्दगी टुकडों मे बंटती रही
ReplyDeleteबँटते बंटते कटती रही
और फिर एक दिन
ज़िन्दगी छीज गयी
प्रेम को समझना आसान नहीं
ReplyDeleteइसमें लहरें आती हैं जाती हैं -
हर आवेग किनारों को छूना चाहती हैं
.........
तरसती हूँ मैं
तुम्हारी आवाज के एक टुकड़े के लिए
जिसे तकिये तले रख
मुझे रात को नींद आ जाये
भावमय करते शब्द ... आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए ।
इंतज़ार को शब्दों ने साकार किया !
ReplyDeleteBahut khoob!
ReplyDeleteएक संवेदनशील ,दिल की गहराईयों से निकली बेहतरीन रचना बधाई
ReplyDeletebhavmayi prastuti..
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना !
ReplyDeleteआभार !!
मेरी नई रचना
एक ख़्वाब जो पलकों पर ठहर जाता है
टुकड़े टुकड़े सब
ReplyDeleteतुम्हें माँग ले जाते हैं मुझसे
तुम्हारी माँ
तुम्हारे ऑफिस के लोग
और हालात...
एहसास ... बहुत सुन्दर
बहुत खूब, बधाई.
ReplyDeleteनूतन वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ मेरे ब्लॉग "meri kavitayen " पर आप सस्नेह/ सादर आमंत्रित हैं.