प्रभु तुम्हारे होने पर अविश्वास नहीं
पर जब जब ज़िन्दगी का रुदन सुनती हूँ
आतुर होती हूँ जानने को
तुम कहाँ हो !
रश्मि प्रभा
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ईश्वर अगर तुम हो
ईश्वर अगर तुम हो
तो लोग अपंग क्यों है?
कितनो की आँखों में रौशनी नहीं
उनके सपने बेरंग क्यों है?
क्यों कुछ मासूम
जिंदगी घुट घुट कर बिताते हैं
क्यों भोले लोग ही
अक्सर सताए जाते हैं
क्यों अनाज पैदा करने वाले किसान
भूख से मर जाते हैं
क्यों नेता देश को
नोच नोच कर खाते हैं
ईश्वर अगर तुम हो
तो मुझे बताना ज़रूर
क्योंकि मैंने सुना है
गलती केवल इंसानों से होती है
रंजना
http://ranjanathepoet.blogspot.com/
अत्यंत गंभीर प्रश्न जिसके उत्तर की प्रतीक्षा में चिंतकों के जीवन, उनकी पीढियां बीत गयी. खोज और तलाश आज भी जारी है, अनेकों विधि से, अनेकों विधा से....परन्तु अभी तो करना है इन्तजार ..लेकिन आखिर कब तक? लेकिन एक बात तो है कि एक शाश्वत नियम अवश्य है, वह प्राकृतिक हो या अप्राकृतिक? वैज्ञानिक हो या आध्यात्मिक अथवा निरा दार्शनिक अबूझ पहेली? कुछ तो है, क्या वही ईश्वर है? क्या वही मूल तत्त्व है? क्या वही परम तत्त्व है? शायद हां और शायद नहीं भी, क्योकि तब आखिर अपवाद क्यों है? अपवाद मानवजनित तो हो सकता है, क्या इश्वर जनित भी है? यह गूढ़ पहेली कैसे सुलझेगी? शायद कोई राह दिखाए, मुझे भी प्रतीक्षा है आपकी ही तरह. आभार इस रचना के लिए.
ReplyDelete"प्रभु तुम्हारे होने पर अविश्वास नहीं
ReplyDeleteपर जब जब ज़िन्दगी का रुदन सुनती हूँ
आतुर होती हूँ जानने को
तुम कहाँ हो !"
वाह, क्या बात कही ! आपको नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
वाह सुंदर प्रश्न निर्माणकर्ता से , मुस्कुराने को मजबूर करती करती मनुष्य को भी ईस्वर को भी
ReplyDeleteभावमय करते शब्द ...नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं ।
ReplyDeletebahut badiya rachna..
ReplyDeletePrastuti hetu aabhar!
बेहतरीन....नववर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुती!
भगवान के होने का सबूत मिल जाये आपको तो जरा हमे भी अवगत करावें, मैं भी अपनी भगवान् से उधारी चुकाना चाहता हूँ !
गहन भाव लिए रचना |
ReplyDeleteनव वर्ष शुभ और मंगलमय हो |
आशा
विश्वास डगमगाता नहीं मगर शिकायत तो होती है !
ReplyDeleteमुझे शिकायत नहीं होती उससे...क्योंकि उसने जो दिया संसार को वह अमूल्य है..
ReplyDeleteहाँ शिकायत है उसके बनाये इंसान से, जिसने उसकी बनायीं हर व्यवस्था के विध्वंस में तत्पर, निरंतर रत है...