आत्महत्या आसान नहीं .
लोग कहते हैं इसे कायरता - पर उत्तेजना की स्थिति हो या डूबते मन की स्थिति ,
यह आसान नहीं...





रश्मि प्रभा
===============================================================
मैं आत्म हत्या नहीं करना चाहता हूं?


मरना कौन चाहता है?
किसे अच्छा लगता है
जीना, बनकर एक लाश।

करने से पहले आत्महत्या,
करना पड़ता है संधर्ष,
खुद से।

पर पाने से पहले
रेशमी दुनिया,
खौलते पानी में डाल देते है
कोकुन में बंद जमीर को।

महत्वाकांक्षा
परस्थिति
समय और
काल
के तर्क जाल में उलझ
आदमी
मारकर जमीर को
कर लेता है आत्महत्या,
और फिर
अपने ही शव को
कंधे पर उठाये
जीता रहता है
ता उम्र....

My Photo






अरूण साथी
http://sangisathi.blogspot.com/

8 comments:

  1. सार्थक पोस्ट, आभार.

    नूतन वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ मेरे ब्लॉग "meri kavitayen " पर आप सस्नेह/ सादर आमंत्रित हैं.

    ReplyDelete
  2. अक्षरश: सही कहा है ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

    नववर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ बधाई ।

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर !
    नव वर्ष की बधाई !

    ReplyDelete
  4. मरने से पहले ही मर जाना क्या जीवन का अपमान नहीं है...इंसान जो अपने भीतर खुदा को तलाश सकता है खुद को भी खो दे कैसी विडंबना है !

    ReplyDelete
  5. सकारात्मक पोस्ट के लिये आभार।
    नव वर्ष की अनंत शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  6. सुन्दर अभिवयक्ति....नववर्ष की शुभकामनायें.....

    ReplyDelete

 
Top