
हौसले ज़िन्दगी का सबब हैं
हौसला है तो ही मंजिल है ...
रश्मि प्रभा
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मत पूछ मेरे हौसलों की हदों के बारे में
मत पूछ मेरे हौसलों की हदों के बारे में,
ये वो पंछी हैं, जो जानते ही नहीं सरहदों के बारे में !
उड़ते रहते हैं ये निरंतर ख्वाहिशो के आसमानों में,
और बाज नहीं आते कभी तकदीर को आजमाने से !
रूठ जाती हैं तकदीरे कभी, बदल जाता हे वक़्त भी
दगा देते हैं इंसा अपने, दिक्क़ते देती उम्र भी
बस ये हौसले ही हैं जो कभी रुठते नहीं
हारती हैं ज़िंदगियाँ पर ये कभी हारते नहीं
मत पूछ क्या हासिल हैं इन हौसलों की वजह से
ये वो पंछी हैं, टिका हैं आसमा जिनकी वजह से
ढूंड लाते हैं ये रोजाना ज़िन्दगी का दाना
और भूलकर सारे गम गाते हैं मस्ती का तराना
आया था इक दिन जब हार गए थे ये हौसले
कट गए थे पर इनके, टूट गए थे घौसले
लग रहा था अब न उड़ सकेगी ये कोपले,
पर अगले दिन फिर निकल पड़े ये तिनको को धुंडने
एक-एक तिनका बीनकर, लगे फिर आशियाना जोड़ने
मत पूछ उस दिन इन हौसलों की हालत के बारे में
कुछ सोच ही नहीं रहे थे ये उस दिन राहत के बारे में
उड़ रहे थे उस दिन ये उम्मीद के आकाश में
आसुओं को पौछ्कर आशियाने की तलाश में
ये हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते हैं,
हर तकलीफ को ताक़त बना देते हैं,
और दर्द से भी दवा चुरा लेते हैं !
एक ख्वाहिश टूटे तो हज़ार ख्वाब सजा लेते हैं,
और छोटी-छोटी कोशिश से मुक़द्दर बना देते हैं !
मत पूछ क्या हाल होगा इन हौसलों के न होने से
मर जाता हैं पंछी कोई पिंजरों में क़ैद होने से
मोह नहीं रहता उसे न खाने में न जीने में
और मर जाती हैं तमन्ना उड़ने की फडफड़ाकर सीने में
मत पूछ मेरे हौसलों की हदों के बारे में,
ये वो पंछी हैं, जो जानते ही नहीं सरहदों के बारे में !
उड़ते रहते हैं ये निरंतर ख्वाहिशो के आसमानों में,
और बाज नहीं आते कभी तकदीर को आजमाने से !
बस ये हौसले ही हैं जो कभी रुठते नहीं
ReplyDeleteहारती हैं ज़िंदगियाँ पर ये कभी हारते नहीं
ला जवाब और प्रेरक रचना!! आभार
मत पूछ क्या हासिल हैं इन हौसलों की वजह से
ReplyDeleteये वो पंछी हैं, टिका हैं आसमा जिनकी वजह से
बहुत खूब ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
बहुत अच्छी प्ररना देती रचना। अंकित जि को बधाई
ReplyDeleteहौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते हैं,
ReplyDeleteहर तकलीफ को ताक़त बना देते हैं,
और दर्द से भी दवा चुरा लेते हैं !
एक ख्वाहिश टूटे तो हज़ार ख्वाब सजा लेते हैं,
और छोटी-छोटी कोशिश से मुक़द्दर बना देते हैं !
वाह ,बहुत खूब .... उत्तम प्रस्तुति .... !!
इस हौसले से तो संसार हौसला से परिपूर्ण हो जाए .... !!
मत पूछ मेरे हौसलों की हदों के बारे में,
ReplyDeleteये वो पंछी हैं, जो जानते ही नहीं सरहदों के बारे में !
उड़ते रहते हैं ये निरंतर ख्वाहिशो के आसमानों में,
और बाज नहीं आते कभी तकदीर को आजमाने से !
bahut hi sundar prerna dayi rachna 1
भरपूर हौसला साथ लिए, जोखिम को तत्पर भैया ।
ReplyDeleteख्वाहिश है आकाश सरीखी, बाधा लेती रही बलैया |
दर्द दवा से रहे चुराते, तकलीफें ताकत बनती -
देख हौसले मेरे ऊंचे, तक़दीर कहे दैया रे दैया ||
प्रेरक रचना...
ReplyDeleteसादर.
सुन्दर प्रेरक रचना...
ReplyDeleteपंख होने से कुछ नहीं होता...हौसलों से उड़ान होती है...
ReplyDeleteसभी पाठको को सादर धन्यवाद् ...आपकी प्रशंसा मेरे लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं..धन्यवाद् रश्मि जी - अंकित सोलंकी
ReplyDeleteआया था इक दिन जब हार गए थे ये हौसले
ReplyDeleteकट गए थे पर इनके, टूट गए थे घौसले
लग रहा था अब न उड़ सकेगी ये कोपले,
पर अगले दिन फिर निकल पड़े ये तिनको को धुंडने
एक-एक तिनका बीनकर, लगे फिर आशियाना जोड़ने
.........Really nice.....