
होश आया तो जाना
बराबरी का दर्जा ले गया जुर्माना ...
रश्मि प्रभा
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रेल का टिकट.
पहली बार हमने लिया रेल का टिकट,
लाइन लगी थी बड़ी विकट,
हम भी आंखी मीचे, लग गए सब से पीछे,
गरमी के मारे निकल रहा था पसीना,
तभी धकेलते हुए मुझे आगे बढ़ी एक हसीना,
होंठो पर लिए विज्योंमत्त हँसी,
अभिमन्यु की तरह लाइन के चक्रव्यूह में घुसी,
सभी की निगाहें उसी पर थी चप्की,
वो टिकट के लिए खिडकी पे लपकी,
मै इस अन्याय को ना सह पाया,
मैडम लाइन में आइये फरमान सुनाया,
इससे पहले कि लड़की अपना पर्स खोले,
भ्रष्टाचार के खिलाफ मुझे लड़ता देख कुछ और लोग भी बोले,
मैडम आप गलत कर रही है,
महिलाए अब पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर लड़ रही है,
लाइन चाइना वाल की तरह थी लंबी,
मैंने कहा:मेरे आगे लग जाओ महिला समर्थक है हम भी,
लड़की ने कर दिया इनकार,
मेरे पीछे खडी हो गई निर्विकार,
रह गया मै हक्का बक्का,
अचानक किसी ने मारा जोर से धक्का,
लाइन का सिस्टम बिगड़ा,
मेरे आगे पहलवान लगा हुआ था एक तगड़ा,
मुझे घूरा आँखे तरेरी गरमाया,
मैंने नेता की तरह पोलैटिली समझाया,
पहलवान ने मेरी औकात को बांचा,
आओ देखा ना ताव मार दिया तमाचा,
हमने भी ऊपर नीचे हाँथ पैर हिलाए,
पर पहलवान का कुछ भी ना बिगाड़ पाए,
लड़ाई की उम्र थी कम जैसे कनपुरिया बिजली,
पीछे से मैडम को गायब देख मेरी तबीयत दहली,
तुरंत जेब टटोली पर्स देखा,
मेरे माथे पर खिंच गई चिंता की रेखा,
पर्स के साथ पीछे की जेब लापता थी,
मै चीखा,कोई तो बताओ यार मेरी क्या खता थी,
राजेंद्र अवस्थी.
वाह!...क्या बात है!...बहुत मजा आया!
ReplyDeleteहा हा हा ……मज़ा आ गया
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteसादर
LOLz
ReplyDeleteha ha ha ,bahut maza aaya ,waise ye daily ka kissa hai
ReplyDeleteha ha ha ,bahut maza aaya ,waise ye daily ka kissa hai
ReplyDeleteha ha ha ,bahut maza aaya ,waise ye daily ka kissa hai
ReplyDeleteराजेंदर बाबू, बढ़िया है !
ReplyDeleteअच्छा व्यंग्य, मुझे हमेशा ऐसी परिस्थितियों से पाला पड़ता है !
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteकिस्सा मजेदार है..बहुत खूब!
ReplyDeleteहवा के एक झोंके ने सारा तिलस्म तोड़ दिया...जिनपर ऐतबार था उन्हें ऐतबार पर ऐतबार न था
पर्स के साथ पीछे की जेब लापता थी,
ReplyDeleteमै चीखा,कोई तो बताओ यार मेरी क्या खता थी,
*थी न ख़ता आपकी .... :)*
मैंने कहा:मेरे आगे लग जाओ महिला समर्थक है हम भी,
*थी न ख़ता आपकी .... * ??
चटक मटक ने दिया पटक!
ReplyDeleteबहुत खूब .. मजेदार
ReplyDeleteकल 012/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
:):) शब्द चित्र लिख दिये ...
ReplyDeleteभीड़ में सचेत रहना चाहिए...पर खूबसूरत बलाएं...ऐसे ही ध्यान भटका देतीं हैं...और अन्याय के विरुद्ध लड़ाई ऐसे ही ठंडी पड़ जाती है...
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