
सोचो , कुछ कदम बढ़ाओ
देखो कितनी हरियाली है
कितने लोग पास हैं ....
रश्मि प्रभा
=============================================================
भावनाओ के बंजर में भी फूल खिलते है....
भावनाओ के बंजर में भी
फूल खिलते है
एक सहरा
तो अपना
बना के देखो!
पंक्तियों की कोंपले
भी फूटेंगी
कुछ शब्द तो
रेत में
बिखरा के देखो!
कविताओ की फसल
भी लहलहाएगी खूब
संवेदनाओं से
उन्हें
सींच कर तो देखो!
कुवंर जी (kunwarji's)
बहुत सुंदर....
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर...............
अनु
बहुत बढिया।
ReplyDeleteमेरे पास शब्द नहीं है जी आभार व्यक्त करने के लिए,आपने मेरी तुच्छ सी पंक्तियों को चुना ये मेरे लिए,इन पंक्तियों के लिए पुरस्कार वाली बात है, मन गद - गद हुआ जा रहा है.
ReplyDeleteकुँवर जी,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 29/5/12 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत एहसास ..!!!!
ReplyDeleteसींचना तो होगा ही
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर........!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteऔर एकदम सही भी कहा है..
उत्कृष्ट रचना...
कविताओ की फसल
ReplyDeleteभी लहलहाएगी खूब
संवेदनाओं से
उन्हें
सींच कर तो देखो!
देख ली ,आपके द्वारा सींचे
कविताओ की फसल को लहलहाते हुए
बहुत खूब .... उत्तम अभिव्यक्ति ....
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeletesach bhavnayen nek hon aur dil mein samvedana ho to banjar bhi aawad ban muskarata hai ..
ReplyDeletebahut sundar sarthak prastuti hetu aabhar!