सोचो , कुछ कदम बढ़ाओ
देखो कितनी हरियाली है
कितने लोग पास हैं ....

रश्मि प्रभा

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भावनाओ के बंजर में भी फूल खिलते है....

भावनाओ के बंजर में भी
फूल खिलते है
एक सहरा
तो अपना
बना के देखो!
पंक्तियों की कोंपले
भी फूटेंगी
कुछ शब्द तो
रेत में
बिखरा के देखो!
कविताओ की फसल
भी लहलहाएगी खूब
संवेदनाओं से
उन्हें
सींच कर तो देखो!

कुवंर जी (kunwarji's)

12 comments:

  1. बहुत सुंदर....
    बहुत बहुत सुंदर...............

    अनु

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  2. बहुत बढिया।

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  3. मेरे पास शब्द नहीं है जी आभार व्यक्त करने के लिए,आपने मेरी तुच्छ सी पंक्तियों को चुना ये मेरे लिए,इन पंक्तियों के लिए पुरस्कार वाली बात है, मन गद - गद हुआ जा रहा है.

    कुँवर जी,

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  5. आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 29/5/12 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |

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  6. बहुत खूबसूरत एहसास ..!!!!

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  7. सींचना तो होगा ही

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
    और एकदम सही भी कहा है..
    उत्कृष्ट रचना...

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  9. कविताओ की फसल
    भी लहलहाएगी खूब
    संवेदनाओं से
    उन्हें
    सींच कर तो देखो!
    देख ली ,आपके द्वारा सींचे
    कविताओ की फसल को लहलहाते हुए
    बहुत खूब .... उत्तम अभिव्यक्ति ....

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  10. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति।

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  11. sach bhavnayen nek hon aur dil mein samvedana ho to banjar bhi aawad ban muskarata hai ..
    bahut sundar sarthak prastuti hetu aabhar!

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