
सृष्टि तुम प्रकृति तुम
सौन्दर्य तुम परिवर्तन तुम
तुम ही हो विद्या तुम्हीं हो लक्ष्मी
और साहसी दुर्गा तुम
तुम हो सपना तुम्हीं हकीकत
जीवन का हर स्रोत हो तुम ...
शिव की जटा से निकली गंगा
आदिशक्ति हो तुम
तुम्हीं साज हो तुम्हीं हो गीत
तोतली भाषा भी तुम
तुम्हीं खिलौना
तुम्हीं हो खेल
ज्ञान का हर स्तम्भ हो तुम
क्या अशिक्षित क्या है शिक्षित
गीता का हर श्लोक हो तुम
वेद हो तुम ऋचा हो तुम
तप हो तुम निर्वाण हो तुम
होने का हर आधार हो तुम
रश्मि प्रभा
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ममता की छाँव
वह तुम्हीं हो सकती थीं माँ
जो बाबूजी की लाई
हर नयी साड़ी का उद्घाटन
मुझसे कराने के लिये
महीनों मेरे मायके आने का
इंतज़ार किया करती थीं ,
कभी किसी नयी साड़ी को
पहले खुद नहीं पहना !
वह तुम्हीं हो सकती थीं माँ
जो हर सुबह नये जोश,
नये उत्साह से
रसोई में आसन लगाती थीं
और मेरी पसंद के पकवान बना कर
मुझे खिलाने के लिये घंटों
चूल्हे अँगीठी पर कढ़ाई करछुल से
जूझती रहती थीं !
मायके से मेरे लौटने का
समय समाप्त होने को आ जाता था
लेकिन पकवानों की तुम्हारी लंबी सूची
कभी खत्म ही होने को नहीं आती थी !
वह तुम्हीं हो सकती थीं माँ
मेरा ज़रा सा उतरा चेहरा देख
सिरहाने बैठ प्यार से मेरे माथे पर
अपने आँचल से हवा करती रहती थीं
और देर रात में सबकी नज़र बचा कर
चुपके से ढेर सारा राई नोन साबित मिर्चें
मेरे सिर से पाँव तक कई बार फेर
नज़र उतारने का टोटका
किया करती थीं !
वह तुम्हीं हो सकती थीं माँ
जो ‘जी अच्छा नहीं है’ का
झूठा बहाना बना अपने हिस्से की
सारी मेवा मेरे लिये बचा कर
रख दिया करती थीं
और कसम दे देकर मुझे
ज़बरदस्ती खिला दिया करती थीं !
सालों बीत गये माँ
अब कोई देखने वाला नहीं है
मैंने नयी साड़ी पहनी है या पुरानी ,
मैंने कुछ खाया भी है या नहीं ,
मेरा चेहरा उदास या उतरा क्यूँ है ,
जी भर आता है तो
खुद ही रो लेती हूँ
और खुद ही अपने आँसू पोंछ
अपनी आँखें सुखा भी लेती हूँ
क्योंकि आज मेरे पास
उस अलौकिक प्यार से अभिसिंचित
तुम्हारी ममता के आँचल की
छाँव नहीं है माँ
इस निर्मम बीहड़ जन अरण्य में
इतने सारे ‘अपनों’ के बीच
होते हुए भी
मैं नितांत अकेली हूँ !
स्वागतम.
ReplyDeleteमाँ जैसा कोई नहीं!
ReplyDeleteMaa ki koi misal nahi.
ReplyDeleteजब भी जीवन की कश्ती डगमगाई
ReplyDeleteमाँ तुम बहुत याद आई..
.....माँ को नमन....
वेद हो तुम ऋचा हो तुम
ReplyDeleteतप हो तुम निर्वाण हो तुम
होने का हर आधार हो तुम
इस निर्मम बीहड़ जन अरण्य में
इतने सारे ‘अपनों’ के बीच
होते हुए भी
मैं नितांत अकेली हूँ !
*क्यों कि .....
तुम्हारी ममता के आँचल की
छाँव नहीं है माँ ....
क्या लिखूं ..... आँखों में आंसू ......
ma ........bas ek shabd hi kafi hai !
ReplyDeleteवटवृक्ष के लिये आज आपने मेरी रचना का चयन किया आभारी हूँ आपकी रश्मिप्रभा जी ! मदर्स डे के उपलक्ष्य में आपको अनंत शुभकामनायें !
ReplyDeleteभावुक रचना
ReplyDeleteapki baat padhkar Farmane Bari Ta'ala yad aa gaya (Copy)-
ReplyDeleteतुम्हारे रब ने फ़ैसला कर दिया है कि उसके सिवा किसी की बन्दगी न करो और माँ-बाप के साथ अच्छा व्यवहार करो। यदि उनमें से कोई एक या दोनों ही तुम्हारे सामने बुढ़ापे को पहुँच जाएँ तो उन्हें 'उँह' तक न कहो और न उन्हें झिड़को, बल्कि उनसे शिष्टतापूर्वक बात करो(23) और उनके आगे दयालुता से नम्रता की भुजाएँ बिछाए रखो और कहो, "मेरे रब! जिस प्रकार उन्होंने बालकाल में मुझे पाला है, तू भी उनपर दया कर।" (24) जो कुछ तुम्हारे जी में है उसे तुम्हारा रब भली-भाँति जानता है। यदि तुम सुयोग्य और अच्छे हुए तो निश्चय ही वह भी ऐसे रुजू करनेवालों के लिए बड़ा क्षमाशील है(25)
सूरा बनी इसराईल
बहुत सुंदर
ReplyDeleteमां मेरे गुनाहों को कुछ इस तरह से धो देती है,
जब वो बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।।
इस निर्मम बीहड़ जन अरण्य में
ReplyDeleteइतने सारे ‘अपनों’ के बीच
होते हुए भी
मैं नितांत अकेली हूँ !…………………मार्मिक किंतु सत्य चित्रण
यह कविता पढकर ऐसा लगता कि मेरे दिल से भी यही आवाज़ आ रही है. बहुत सुंदर. अभिनन्दन.
ReplyDeleteमाँ ने जिन पर कर दिया, जीवन को आहूत
ReplyDeleteकितनी माँ के भाग में , आये श्रवण सपूत
आये श्रवण सपूत , भरे क्यों वृद्धाश्रम हैं
एक दिवस माँ को अर्पित क्या यही धरम है
माँ से ज्यादा क्या दे डाला है दुनियाँ ने
इसी दिवस के लिये तुझे क्या पाला माँ ने ?
स्नेहासिक्त चित्रण. सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्रण किया है आपने 'माँ' के अलौकिक रूप का..!!!!!
ReplyDelete'माँ' की महिमा का पार नहीं..
'माँ' जैसा कोई संसार नहीं..!!
वेद हो तुम ऋचा हो तुम
ReplyDeleteतप हो तुम निर्वाण हो तुम...
रश्मि जी .... माँ के लिए बहुत सुंदर भाव लिखे हैं ...सच माँ सब कुछ है ... आभार ...
साधना जी ,
मन की गहराईयों से लिखी आपकी रचना बहुत अच्छी लगी ... ऐसा लगा कि आपने मेरे दिल की बात कह दी हो ... बहुत सुंदर प्रस्तुति
माँ जैसा कोई नहीं बहुत सुन्दर और भावपूर्ण
ReplyDeleteआशा
man ko aadr kar dene wali rachna.
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