
सूरज की दिशा बदले
सूर्यास्त से कलरव का आरम्भ हो
सूर्योदय में आँखों में नींद हो
कमरे में रोटी सिंके
रसोई में खाट बिछे
तुम बोलो-मैं सुनूँ
जब तुम आओ.....
रश्मि प्रभा
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और तुम आओ!! (कुछ हल्का-फुल्का....)
ऐसा नहीं हो सकता क्या, कि,
दिन के उजालों में, शहर सारा सोता हो,
और तुम आओ!
किसी कुत्ते के बच्चे की पूँछ हिले,
और तुम आओ!
आईसक्रीम का आखिरी स्कूप हो हाथ में
और तुम आओ!
मेरे वो पुराने वाले दिनों की दस्तक हो,
और तुम आओ!
मेरे जन्मदिन का पहला लम्हा हो,
और तुम आओ!
मेरे हाथों में नौ-नौ चूडियाँ हो,
और तुम आओ!
रात अभी आधी हो,
और तुम आओ!
मेरी साँसें मुझसे खफा-खफा हो,
और तुम आओ!
क्या जानू कि क्या कुछ होना हो,
जब तुम आओ!!
सुन्दर!!!!
ReplyDeleteहवा सी हलकी फुल्की....
:-)
अनु
बहुत प्यारा ख्याल
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी उत्कृष्ट
ReplyDelete--- शायद आपको पसंद आये ---
1. अपने ब्लॉग पर फोटो स्लाइडर लगायें
bahut pyari.....
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteRECENT P0ST फिर मिलने का
Ati prbhaavi rachana
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आप सभी का मित्रों! ये सच में एक छोटा सा ख़याल ही था..कविता का रूप जिसने लिया!
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