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आज यूँ ही एक ख्याल
गुजरा मेरे रास्ते से,
शायद क्यूंकि
तुम मेरे साथ नहीं आज!
ख्याल ने झाँका मेरे अंतर्मन में
पढ़ा मेरी बेचैनी को
और सोचा
क्या यह मुमकिन है
कि छूकर किसी याद को
ऐसा लगे कि जैसे मैंने छुआ हो तुम्हें ?
जब तुम्हारी कमी खलने लगती है
दुनिया अजीब सी लगती है मुझे
शायद क्यूंकि हर शख्स में तुम ही नजर आते हो
हर आवाज में तुम्हारी ही खनक होती है
और हर धड़कन में तुम्हारे नाम की ही दुआ !
क्या छूकर किसी किताब
या पन्ने को,
या तुम्हारे छोड़े गए ग्लास को
या फिर तुम्हारी किसी तस्वीर को
क्या कम लगेगी मुझे तुम्हारी कमी,
क्या लगेगा जैसे मैंने छुआ हो तुम्हे
और तुमने भी बालों में मेरे उंगलिया फिराई हो जैसे?
नादान ख्याल है
मगर सच में सोचती हूँ ऐसा
काश किसी याद को सिरहाने रख कर सो जाऊं
और पा जाऊं तुम्हे तब
जब तुम्हारी कमी पूरी दुनिया
की लम्बाई, चौडाई, गहराई
से भी ज्यादा लगने लगे मुझे !
क्या यह मुमकिन है ?
![My Photo](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEieB0GtVTiQXGsZadVtI-1z6dmUYjEVi946UXMseP8gLRacfCQ8blmLbtIpmRNUa1WSw7Cbl4HK7Nf14NyQeYpxMLbuxpSPkwupS_diPfwrxA0qjQlO1-TvFCuwZZHh2UN1DgKsXjfV8QxR/s200/IMG_3463.JPG)
-शैफाली गुप्ता
-शैफाली गुप्ता
जन्म: इंदौर मध्य प्रदेश में.
शिक्षा: एम बी ए, एम एस (यूरोप).
वर्तमान निवास: कैलिफोर्निया, यू एस ए.
कार्य: सॉफ्टवेर इंजिनियर
शब्दों को रचने की कला पिताजी से प्राप्त हुई जो देशभक्ति गीत लिखा करते थे. तेरह साल की उम्र में पहली लिखी कविता की संतुष्टि आज जीवन का एक अभिन्न अंग बनी हुई है. अंग्रेजी और हिंदी दोनों ही माध्यम से अपने भावों को व्यक्त करने का प्रयास निरंतर जीवन प्राण सा समाहित है. अंग्रेजी दैनिक 'फ्री प्रेस' में कवितायेँ और लेख प्रकाशित है. रश्मि प्रभाजी द्वारा सम्पादित काव्य संग्रह 'शब्दों के अरण्य में' में रचना शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ. अपने ब्लॉग 'ड्रीम्स' पर ५ सालों से संक्रिय.
ब्लॉग :
काश किसी याद को सिरहाने रख कर सो जाऊं
ReplyDeleteऔर पा जाऊं तुम्हे तब
जब तुम्हारी कमी पूरी दुनिया
की लम्बाई, चौडाई, गहराई
से भी ज्यादा लगने लगे मुझे !
बहुत खूबसूरत ख्याल
i donot have words for apperciation........but its excellent...bhav aur shabdo ka sunder smanvay.
ReplyDeleteकाश किसी याद को सिरहाने रख कर सो जाऊं
ReplyDeleteऔर पा जाऊं तुम्हे तब
जब तुम्हारी कमी पूरी दुनिया
की लम्बाई, चौडाई, गहराई
से भी ज्यादा लगने लगे मुझे......kya sunder kalpna hai.....
sach me yadein aisi hi hoti hain...
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