ज़िन्दगी

ज़िन्दगी तुझे क्या नाम दूँ।
जानी पहचानी है तू
फिर भी अन्जान है तू।
आज शिशु है उगता सूरज है।
कल यौवन की धूप है।
जब शाम ढलने लगी,
गोधूलि तू।
शाम नीली है ,सलोनी है।
रात के प्रहर मे भी अलबेली है।
एक अनबूझी पहेली है तू,
खुली किताब भी है तू।
तू वीरान सपाट है कभी,
कभी चुलबुली सहेली है।
कभी काँटे हैं पथरीली है तू,
कभी चम्पा ,चमेली है तू।
तू शांत सागर है,
गंभीर भी है,
आँधी तूफ़ान भी है
बड़ी मनचली है तू।
मेरा तुझसे नाता क्या है,
कब साथ छोड़ दे,
किसकी हुई है तू,
फिर भी जब तक साथ है,
मेरी है मेरी अपनी है
मेरी पहचान है तू,
मेरी सहेली है तू।

रचना रचयिता एक हैं

सूरजमुखी ने देखा सूरज को
सूरज ने सोना बिखरा दिया,
आँचल मे समेटे खड़ा वो धरती पर।

सागर ने देखा काले मतवाले,
बादल को,
तू मुझसे है, मै तुझसे हूँ,
बादल ने गागर छलका दिया,
नदिया बना कर पंहुचा दिया,
सागर तट पर।

मानव ने पूजा पत्थर को,
देवता बना दिया,
देवता खड़ा मन्दिर मे,
मानव ने शीष झुका दिया।
रचयिता कौन,
प्रश्न चिन्ह लगा दिया,
रचना रचयिता एक हैं,
तथ्य यह समझा दिया।


बीनू भटनागर
जन्म ०४ सितम्बर १९४७ को बुलन्दशहर, उ.प्र. में हुआ। शिक्षा: एम.ए. ( मनोविज्ञान, लखनऊ विश्वविद्यालय) १९६७ में। आपने ५२ वर्ष की उम्र के बाद रचनात्मक लेखन प्रारम्भ किया। आपकी रचनाएँ- सरिता, गृहलक्ष्मी, जान्हवी, माधुरी, सृजनगाथा, स्वर्गविभा, प्रवासी दुनियाँ और गर्भनाल आदि में प्रकाशित। आपकी कविताओं की एक पांडुलिपि प्रकाशन के इंतज़ार में हैं। व्यवसाय - गृहणी। सम्पर्क: ए-१०४, अभियन्त अपार्टमैंन्ट, वसुन्धरा एनक्लेव, दिल्ली, - ११००९६, मो. - ९८९१४६८९०५/ इ-मेल –  tanuja11@gmail.com

4 comments:

  1. सुन्दर रचना एवं रचना कार से परिचय कराने के लिये आभार,,,,

    RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,

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  2. BINU JI KEE DONON KAVITAAYEN ACHCHHEE
    LAGEE HAIN . ZINDGEE KE BAARE MEIN
    UNHONNE KHOOB LIKHAA HAI .

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  3. Beenu jee . Dono kavitaon mein manaw guno ka samput acha laga ... abhar

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