वो कागज़ की कश्ती
वो छप छप पानी
वो बेख़ौफ़ लड़ना
जिद्द करना
कड़ी धूप में चाँदनी को पाना ....
क्या ये दिन फिर मिल सकते हैं !

रश्मि प्रभा

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ये दोबारा कब होगा ????

राह देखी थी कब से इस दिन की,
आगे के सपने सजा रखे थे नजाने कब से!
बड़ी उतावली थी यहाँ से जाने को ,
जिंदगी का अगला पडाव पाने को!
पर न जाने क्यो दिल में आज कुछ और आता है,
वक्त को रोकने का जी चाहता है!
जिन बातो को लेकर रोते थे,आज उन पर हँसी आती है,
न जाने क्यो आज उन पलों की याद बहुत आती है!
कहा करते थे बड़ी मुश्किल से दो साल सह गए ,
पर आज क्यो लगता है हम कितना कुछ खो गए!
न भूलने वाली कुछ यादे रह गई,
यादे जो अब जीने का सहारा बन गई!
मेरी टांग अब कौन खींचेगा,
सिर्फ़ मेरा सर खाने कौन मेरा पीछा करेगा,
जहाँ २००० का हिसाब नही वहां २ रुपए के लिए कौन लडेगा!
कौन रात भर साथ जाग कर पढेगा ,
कौन मेरी नोट बुक मुझसे बिना पूछे ले जाएगा,
कौन मेरे नए नाम बनाएगा,
कौन फ़ेल होने पैर दिलासा दिलाएगा,
कौन गलती से नम्बर आने पैर गालिया सुनाएगा!
कैंटीन में चाय किस के साथ पियेंगे,
वो हसींन पल अब किस के साथ जियेंगे!
मेरे ख्वावों से परेशान कौन होगा,
कभी मुझे किसी लड़के से बात करते देख हैरान कौन होगा!
अचानक बिन मतलब के किसी को देखकर पागलो की तरह हँसना,
न जाने ये कब होगा .... ..
दोस्तों के लिए कौन प्रोफेसर से लडेगा,
क्या हम ये फ़िर कर पाएंगे!
कौन मुझे मेरी काबिलियत पर भरोसा दिलाएगा,
और जायदा हवा में उड़ने पर ज़मीन पर कौन लायेगा!
मेरी खुशी में सच में खुश कौन होगा,
मेरे गम में मुझसे जायदा दुखी कौन होगा ...
कह दो दोस्तों ये दोबारा कब होगा ????

अर्चना

9 comments:

  1. मेरी खुशी में सच में खुश कौन होगा,
    मेरे गम में मुझसे जायदा दुखी कौन होगा ...
    कह दो दोस्तों ये दोबारा कब होगा ????
    बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  2. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  4. यही तो है। हम वर्तमान को अंगूठा दिखाते चलते हैं और बीते सुनहरे पलों को हसरत से याद करते हैं।
    आज का वर्तमान भी तो कल अतीत हो जायेगा लेकिन हम है कि आज को प्यार से जी नहीं पाते।

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  5. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १८/९/१२ को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका चर्चा मच पर स्वागत है |

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  6. सुन्दर अभिव्यक्ति...
    :-)

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