
अल्हड़ लड़की का चाँद
खुल गयी अम्बर की गांठ
छिटके तारे
और
बादलों के नाजुक से फाहों के
बीच से
उतरे तुम
रात के चमकीले शामियाने के सजीले चितचोर ,
रात की झिलमिल झील की पतवार,
दुनिया भर की प्रेम कथाओं के कोहिनूर ,
ओ चाँद
तुम्हारा वजूद
आसमां से जमीं तक
मुझ से होकर उतरता है हर रात
ओ मेरे राजदार
मेरे दोस्त
मेरे चाँद
उस दिन तुम भी मुझे दुनिया के पैरोकार से लगते हो
जब घूरते हो मुझे टुकुर टुकुर
यूँ घूरना तुम्हारा
मुझे तब अच्छा नहीं लगता जब
हिरनियों की तरह तेजी से
मैं उलझनों के जंगल पार कर लेना चाहती हूँ ,
प्यार को तीनों सप्तकों तक
गुनगुना लेना चाहती हूँ ,
मैं किताब का हरेक लफ़्ज
खुद के मुताबिक पढ़ लेना चाहती हूँ ,
जानती हूँ तुम्हे नींद की चादर मुझे उड़ानी है चाँद
पर कुछ रातों की मनचाही उड़ान
कई सुबहे तरोताजा बना देती हैं
जागने की मोहलत
माँगती हूँ मैं तुमसे चाँद
मत तको यूँ
ना
ना
टुकुर टुकुर मुझे
ओ दुनिया की प्रेम कथाओं के कोहिनूर ...........
उन दिनों
चाँद भी
हथेलियों पर उतर आता था
उन दिनों
हथेलियाँ खुशबुओं से महकती थीं
उन दिनों
हथेलियाँ बस दुआओं के लिए उठती थीं
उन दिनों
हथेलियों की नावों में
रंग बिरंगी तितलियाँ सवार रहती थीं
उन दिनों
हथेलियों के उठान
प्रेम के आवेग थे
आसमान पर उमड़े बादलों की तरह
उन दिनों हथेलियों की रेखाएँ भी
ईश्वरीय मिलन के रास्ते थे
ये जादू था
चार हथेलियों का
जिसने हथेलियों पर प्रेम की फसल उगा ली थी
ये जादू था
चार हथेलियों का
जिसने समूची धरती को खुद पर पनाह दे दी थी
जैसे जादू चल नहीं पाता बिना जादुई ताकत के
वैसे थम गया था चार हथेलियों का जादू
दो के होते ही
अब हथेलियाँ बदन का
हिस्सा भर हैं बस !

अब हथेलियाँ बदन का
ReplyDeleteहिस्सा भर हैं बस !
गहन भाव लिए ... उत्कृष्ट प्रस्तुति
dono hi kavitaye behtareen kavya hai badhai
ReplyDeleteदोनों रचनाये बहुत सुंदर. बधाई सोंनरूपा जी और रश्मिप्रभा को इस सुंदर प्रस्तुति के लिये.
ReplyDeletevery very nice :)
ReplyDelete----
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दुनिया भर की प्रेम कथाओं के कोहिनूर.........,सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteदुनिया की प्रेम कथाओं के कोहिनूर .......kya upma di hai....wah.
ReplyDeleteयूँ घूरना तुम्हारा
ReplyDeleteमुझे तब अच्छा नहीं लगता जब
हिरनियों की तरह तेजी से
मैं उलझनों के जंगल पार कर लेना चाहती हूँ ....व्याकुलता और मीठी शिकायत का सुंदर मिश्रण... वाह
अब हथेलियाँ बदन का
ReplyDeleteहिस्सा भर हैं बस !
उम्दा रचना ..मन तक पहुची
मन का छू लेने वाली कोमल रचनाएँ... बहुत अच्छी लगीं। मेरी शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteमन का छू लेने वाली कोमल रचनाएँ... बहुत अच्छी लगीं। मेरी शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteमन का छू लेने वाली कोमल रचनाएँ... बहुत अच्छी लगीं। मेरी शुभकामनाएँ।
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