Monday, February 26, 2007
अधूरा जीवन


ज़िंदगी को पूरी तरह से जीने की कला 
भला किसे आती है 
कहीं ना कहीं ज़िंदगी में ........ 
हर किसी के कोई कमी तो रह जाती है 

प्यार का गीत गुनगुनाता है हर कोई, 
दिल की आवाज़ो का तराना सुनता है हर कोई 
आसमान पर बने इन रिश्तो को निभाता है हर कोई. 
फिर भी हर चेहरे पर वो ख़ुशी क्यूं नही नज़र आती है 
पूरा प्यार पाने में कुछ तो कमी रह जाती है 
हर किसी की ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है 

दिल से जब निकलती है कविता 
पूरी ही नज़र आती है 
पर काग़ज़ो पर बिछते ही.......... 
वोह क्यूं अधूरी सी हो जाती है 
शब्दो के जाल में भावनाएँ उलझ सी जाती हैं 
प्यार ,किस्से. कविता .यह सिर्फ़ दिल को ही तो बहलाती हैं 
अपनी बात समझने में कुछ तो कमी रह जाती है 

हर किसी की निगाहें मुझे क्यूं......... 
किसी नयी चीज़ो को तलाशती नज़र आती हैं 
सब कुछ पा कर भी एक प्यास सी क्यूं रह जाती है 
ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है 
संपूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है ???

18 comments:

  1. दिल से जब निकलती है कविता
    पूरी ही नज़र आती है
    पर काग़ज़ो पर बिछते ही..........
    वोह क्यूं अधूरी सी हो जाती है
    शब्दो के जाल में भावनाएँ उलझ सी जाती हैं
    प्यार ,किस्से. कविता .यह सिर्फ़ दिल को ही तो बहलाती हैं
    अपनी बात समझने में कुछ तो कमी रह जाती है ..true

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  2. रश्मि जी बहुत बहुत शुक्रिया यह रचना मुझे अपनी अच्छी लगती है आपने उसी को शेयर किया बहुत अच्छा लगा ..आभार ज़िंदगी को पूरी तरह से जीने की कला
    भला किसे आती है
    कहीं ना कहीं ज़िंदगी में ........
    हर किसी के कोई कमी तो रह जाती है :)

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  3. खूबसूरत कविता है, कुछ अनुत्तरित प्रश्न.

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  4. ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है
    संपूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है ???

    यही है जीवन का सत्य

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  5. प्यार का गीत गुनगुनाता है हर कोई,
    दिल की आवाज़ो का तराना सुनता है हर कोई
    आसमान पर बने इन रिश्तो को निभाता है हर कोई.
    फिर भी हर चेहरे पर वो ख़ुशी क्यूं नही नज़र आती है
    पूरा प्यार पाने में कुछ तो कमी रह जाती है
    हर किसी की ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है :खूबसूरत कविता
    latest postमेरे विचार मेरी अनुभूति: मेरी और उनकी बातें

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  6. पूर्णता समापन किश्त है
    मृत्यु के बाद की अपूर्णता ही फिर से जीने का अवलंब बनती है
    तलाश न हो तो प्राप्य कैसा ?

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  7. हर बात बिलकुल सच है ! सब कुछ होते हुए भी एक कभी न भरने वाली रिक्तता होती है जो सब पर भारी पड़ जाती है और हर उपलब्धि को नगण्य सा, बौना सा कर जाती है ! बहुत सुन्दर रंजना जी बहुत खूब !

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  8. अद्भुत भावनात्मक प्रस्तुति | बधाई

    Tamasha-E-Zindagi
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  9. धन्यवाद रश्मि जी , सुश्री रंजना भाटिया जी की कविताये पढना सुखद अनुभूति है. कविताओं का स्टार बेहद प्रभावशाली है , रंजना जी को शुभकामनाएं

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  10. ज़िंदगी को पूरी तरह से जीने की कला
    भला किसे आती है
    कहीं ना कहीं ज़िंदगी में ........
    हर किसी के कोई कमी तो रह जाती है
    वाह ... बेहतरीन
    आभार इस प्रस्‍तुति के लिये

    सादर

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  11. सुन्दर प्रस्तुति

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  12. jindgi ke isa roop men dekhana bhi sabko kahan aata hai? jo kah diya vah har ek kee kahani hai.

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  13. बहुत सुदर, रंजना जी को बहुत करीब से जाना।
    बढिया लगा..

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  14. बहुत बढ़ि‍या कवि‍ता...

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  15. घट भरने में बीत गया रे सारा जीवन।

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  16. बहुत बढ़िया भाव रंजना जी

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  17. जीवन जीना चौंसठ कला से भी ज्यादा है , एक जीवन में यह आये भी कैसे !!
    बहुत खूबसूरत कविता !

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  18. ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है
    संपूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है ???

    सार्थक जीवन जीना भी एक कला है.
    सुंदर कविता.

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