चौखट के उस पार खड़ी ख़ुशी ने
फुसफुसा के कहा --------
मैं तो कबसे खड़ी हूँ इंतजार में
कि-कब द्वार खुले
और मैं अन्दर दाखिल हूँ
मगर ----!!!
तुमको न आना था ......और न आये .......द्वार खोलने ।
तुमसे तो अच्छी वो मासूम बच्ची है ज़रा सा मुस्कुरा क्या दी दौड़ कर मेरे पीछे -पीछे भाग आती है ......
और जब वो खुली बांहों से मेरा स्वागत करती है तो मैं ही कहाँ पीछे रहने वाली हूँ .........लिपट जाती हूँ उससे .....और वो दु :ख है न .... चिढ़कर कर भाग जाता है ... ।
ही-ही-ही--
ही-ही- ..........जलनखोर कहीं का ........।
फिर मैं और वो मासूम कली खिल-खिलातें हैं अपनी जीत पर ....
तुम सोचते हो की मैं आऊँ तो मुस्कुराओ तुम .........पर मैं कहती हूँ कि मुकुराओं तो आऊं मैं पास तुम्हारे .............क्योंकि ख़ुशी हूँ मैं ......भई सी बात है ... मेरा तो
जो स्वागत
करता है,मेरा आदर करता है,मुझे अपने जीवन में शामिल करता है .....उसके पास तो मैं दौड़-दौड़ कर आती हूँ ..............पर जो मेरे पास होते हुए भी अपनी ख़ुशी न
देख
दूसरों की खुशियों से दुखी होता है .तो .....फिर तो मैं वहां अपने सौतेले भाई "आंसू" को भेज देती हूँ .........।
खुशियों को जियो ,उनका स्वागत करो, अपने से नीचे वाले को देख कर संतोष करो कि उसकी जगह होते तो क्या करते ..दुःख आतें हैं .........दुःख चले जातें हैं .......दोनों द्वार खोल कर रखो ........कि अगर कोई परेशानी ज़िन्दगी के भीतर दाखिल हो भी गयी तो -
शीघ्र ही पिछले रास्ते से ज़िन्दगी से बाहर खदेड़ देना ही असली जांबाजी है ..............।
खुशियों की न कोई परिभाषा है न कोई तोल-मोल ...........बस महसूस करने की बात है ..........क्योंकि खुशियों के पास क्या ,
क्यों,किसके लिए,किसके पास,कौनसी,कहाँ ,जैसे पैमाने नहीं होते .............खुशियाँ नहीं हैं अभी ......तो क्या उसके सपने तो हैं
...............अरे हम वो सपने इतने दिल से देखेंगे ............इतने करीब से महसूस करेंगे की पूरी सृष्टि उन सपनो को पूरा करने में
जुट जाएगी ............. हमारी जिद के आगे उसे झुकना ही पड़ेगा ..........क्योंकि वो अपरम्पार ,वो परम सृष्टि भी मजबूर जो
जाएगी हमारे हिस्से की खुशियाँ हमें लौटाने को
.............और हमारी खुशियों की जिद के आगे उस असीम सत्ता को घुटने टेकने ही पड़ते हैं ........फिर जो ऊपर से रिम-झिम
खुशियों की बरसात होगी ........कभी अजमा कर देखिये .......उसमे सराबोर होकर नाचने न लग जाएँ तो कहना ........
अब से हर पल ........हर घडी ..........हर स्वप्न (जागती आँखों से ही सही) बस यही कि मैं खुश हूँ .......दर्पण देखें तो मुस्कुराते
हुए .......किसी से भी बात करें तो मुस्कुराते हुए ............अकेले हों तो भी खुद से बातें करें ......की अरे यार आज तो मैं बहुत ही खुश हूँ .........बार-बार बस एक ही रट कि "मैं इस दुनिया का सबसे खुश प्राणी हूँ ........फिर देखिये कमाल ............खुशियाँ
झर् -झराती हुई आपकी झोली में गिरने लगेंगी ......... शुभकामना के साथ ...........सदा हँसने -मुस्कुराने का वादा आप
सबसे
शिक्षा-एम्.ए. (हिंदी) । प्रकाशन -1- रेकी स्पर्श तरंग , 2-उलझनों के हल,3-’ध्यान’ प्रकाशाधीन :1- ‘कवितायेँ और श्रृंगार ‘ 2-अंग्रेजी अनुवाद “टिप्स & ट्रिक्स फॉर ए हैप्पी लाइफ “ 3-रेकी द्वारा उपचार प़र आधारित पुस्तकें रेकी उपचार तरंग । उपलब्धियां -20वें विश्व पुस्तक मेले मैं “अनुभव -सर्जना सम्मान “प्राप्त । रेकी ग्रैंड मास्टर ,शुभ आरोग्यं-रेकी हेलिंग एंड ट्रेनिंग सेण्टर । डायरेक्टर ( कंस्ट्रकशन कम्पनी )। मुख्य-अतिथि के रूप में अनेक विद्यालयों व् संस्थानों में आमंत्रित व् सम्मानित । साहित्यिक अभिरुचि: “अनुराधा प्रकाशन” दिल्ली में सह -संपादक के रूप में कार्यरत,”खबरयार “भोपाल समाचार -पत्र में कविता प्रकाशित,”अनुराधा -प्रकाशन ” में प्रकाशित आलेख व् कवितायेँ,”नव्या”हिंदी साहित्य में सक्रीय रूप से लेखन “नव्या – समकालीन हिंदी साहित्य की पाक्षिक बेव पत्रिका “में अनेक आलेख व् कवितायेँ प्रकाशित,छात्र जीवन में अनेक पुरुस्कार प्राप्त,अनेक पात्र-पत्रिकाओं में आलेख एवं कवितायेँ प्रकाशित । “सन्मार्ग ” समाचार-पत्र मैं कवितायेँ व् आलेख प्रकाशित,”लोक-जंग ” समाचार-पात्र भोपाल में सक्रीय लेखन, महिला -पत्रिका के लिए लिए मोडलिंग ।
इनका ब्लॉग है : http://sweetshalinikasweetworld.blogspot.com
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आप की ये खूबसूरत रचना शुकरवार यानी 8 फरवरी की नई पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है...
ReplyDeleteआप भी इस हलचल में आकर इस की शोभा पढ़ाएं।
भूलना मत
htp://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com
इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है।
सूचनार्थ।
मुस्कुराइये.... कि खुशी आपके दरवाज़े पर खड़ी है.. :)
ReplyDeleteAuto Suggestion is very useful sometimes...
~सादर!!!
वाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteसचमुच...ऐसा ही है..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
ReplyDeleteख़ुशी कब पीछे रहती है हमेशा तैयार रहती है आने के लिए वो तो हम ही हैं जो उसके रास्तों में रूकावट बनते हैं एक अलग सी पोस्ट बेहतरीन भाव के साथ बहुत अच्छी
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