हमने कई रास्ते बनाये
रश्मि प्रभा
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(1)
अधिकार मिले अति भाग खिले, नहिं दम्भ दिखे प्रण आज करो
करना नहिं शासन ताकत से , दिल पे दिल से बस राज करो
कब कौन कहाँ बिछड़े बिसरे , लघु कौन यहाँ ,गुरु कौन यहाँ
उसकी फुँकनी सुर साज रही , वरना हर साज त मौन यहाँ ||
(2)
प्रण आज करो सब एक रहें , नहिं भेद रहे तुझमें मुझमें
उसके शुभ अंश बँटे सब में , जल में थल में इसमें उसमें
दिन चार मिले कट तीन गये , बस एक बचा बरबाद न हो
किस काम क जीवन हाय सखे, यदि जीवन में मधु स्वाद न हो ||
बहुत सुंदर, क्या कहने
ReplyDeleteसुन्दर आहवान
ReplyDeleteऐसे ही इस संकल्प की डोर में एक एक गाँठ लगा कर हम इसको बहुत मजबूत बनाने के लिए तैयार है और इससे ही हमारी शक्ति का अहसास करा देंगे।
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ReplyDeleteबहुत सुंदर,
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सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
मकरसंक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 15/1/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteअत्यन्त प्रभावी अभिव्यक्ति...कई बार पढ़ने योग्य..
ReplyDeleteबहुत सुंदर, उम्दा प्रभावी प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post: मातृभूमि,