न तो मैं हैवान हूँ
और न ही मैं शैतान हूँ
बस मैं तो मामूली -सा एक इंसान हूँ
पूजा-पाठ में लिप्त होकर
अच्छे कर्म मैं करता हूँ
ईमानदारी की रोटी कमाकर
अपने परिवार का पेट भरता हूँ
छल-कपट की दुनिया से दूर
अपना छोटा-सा इक संसार है
पर इस छोटे संसार से बाहर भी
जगमगाती दुनिया की बहार है
जहाँ सच्चे इन्सानों से अधिक
खून पीने वालों की भरमार है
हैवानों की इस दुनिया में
हैवानियत की होली खेली जाती है
परम्परा की आड़ में
सच्चे इन्सानों की दुनिया
सब कुछ झेली जाती है

डॉ.प्रीत अरोड़ा

3 comments:

  1. प्रभावी लेखनी,
    नव वर्ष की शुभकामना !!
    आर्यावर्त

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  2. बहुत सुन्दर..नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं ..

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  3. क्या खूब कहा...नववर्ष की शुभकामनाएं...

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